गोविंद सिंह राजपूत की जनसुनवाई बनी जनसेवा का अनुकरणीय मॉडल

हर सोमवार-गुरुवार सीधा संवाद, त्वरित समाधान और पारदर्शी शासन का नया उदाहरण

भोपाल। मध्यप्रदेश में संवेदनशील शासन और जनसेवा का अनुशासन अपनी नई पहचान बना रहा है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा सप्ताह में दो दिन—हर सोमवार और गुरुवार—अपने सागर स्थित निवास पर आयोजित की जाने वाली जनसुनवाई अब लोगों के लिए उम्मीद और समाधान दोनों का प्रमुख मंच बन चुकी है। दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक से नागरिक बड़ी संख्या में अपनी समस्याएँ लेकर पहुँचते हैं और मंत्री से सीधे संवाद करते हैं।

सीधा संवाद से बढ़ा भरोसा, लोगों की समस्याओं का तुरंत निपटारा

जनसुनवाई में खाद्य सुरक्षा, राशन वितरण, उपभोक्ता संरक्षण, पात्रता पर्ची, विभागीय योजनाएँ, राजस्व विवाद, शिकायत निवारण और स्थानीय मुद्दों पर लोग प्रत्यक्ष रूप से अपनी बात रखते हैं।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत प्रत्येक आवेदन को ध्यान से सुनते हैं और मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश देते हैं। कई मामलों का समाधान उसी समय हो जाने से जनता में विभाग के प्रति भरोसा और भी मजबूत हुआ है।

समयबद्ध समाधान पर जोर लापरवाही बर्दाश्त नहीं

जनसुनवाई में प्राप्त शिकायतों पर मंत्री स्वयं फॉलो-अप करते हैं। वे स्पष्ट निर्देश देते हैं कि अनावश्यक विलंब नहीं होगा, फाइलें लंबित नहीं रहेंगी, जिम्मेदार अधिकारी लापरवाही नहीं करेंगे। मंत्री राजपूत का कहना है कि राज्य सरकार की मंशा यही है कि जनता को दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें, बल्कि समाधान सीधे उनके पास पहुँचे।

जवाबदेही बढ़ी, प्रशासनिक व्यवस्था हुई मजबूत

जनसुनवाई की व्यवस्था से विभिन्न विभागों में जवाबदेही बढ़ी है। समय-सीमा तय होने से अधिकारियों में सतर्कता और तत्परता आई है। नागरिकों का कहना है कि उनकी समस्याएँ पहले की तुलना में अब अधिक तेज़ी से हल हो रही हैं।

जनसुनवाई बनी सेवा, संवाद और समाधान का सशक्त मंच

खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की यह पहल मध्यप्रदेश में संवेदनशील और जवाबदेह शासन का मजबूत उदाहरण बन गई है। हर सोमवार और गुरुवार की यह जनसुनवाई अब केवल शिकायत निवारण कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनकल्याण, पारदर्शिता और सुशासन का प्रभावी मॉडल बन चुकी है।

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