
गोहद बायपास विवाद पर नागरिक समिति का अंतिम विधिक अनुस्मारक जारी
गोहद l/ भिंड । गोहद नागरिक अधिकार समिति ने एनएच–719 (ग्वालियर–इटावा) फोरलेन परियोजना में पूर्व स्वीकृत गोहद बायपास को निरस्त कर एलीवेटेड रोड बनाए जाने के निर्णय पर अब अंतिम विधिक अनुस्मारक जारी किया है। समिति ने स्पष्ट कहा है कि दिनांक 16 अक्टूबर 2025 को प्रस्तुत ज्ञापन के 15 दिवस बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई लिखित उत्तर, आदेश या जनसुनवाई की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गई है।
ज्ञापन एसडीएम गोहद कार्यालय में रीडर श्री सचिन यादव को दिया गया था। समिति ने इसे सार्वजनिक हित से जुड़ा गंभीर विषय बताते हुए 7 दिनों के भीतर आवश्यक दस्तावेज और स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने की मांग की है।
विधिक स्थिति और उल्लंघन बिंदु
1. राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 3A, 3C, 3D और 4 के तहत किसी भी अलाइनमेंट परिवर्तन के लिए सार्वजनिक सूचना, आपत्तियाँ आमंत्रण एवं स्थानीय जनसुनवाई अनिवार्य है, जो गोहद में नहीं की गई।
2. प्रशासनिक विधि (Administrative Law) के अनुसार बिना कारण और बिना सुनवाई के निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन है।
3. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत शहरी क्षेत्र में एलीवेटेड कॉरिडोर के लिए ध्वनि एवं प्रदूषण प्रभाव आकलन रिपोर्ट (EIA) अनिवार्य है, जो अब तक सार्वजनिक नहीं की गई।
7 दिवस की विधिक मांग
समिति ने 7 दिनों के भीतर प्रशासन से लिखित रूप में निम्न दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की है कि पूर्व स्वीकृत बायपास अलाइनमेंट की प्रति। संशोधित एलीवेटेड रोड अलाइनमेंट की प्रति।भूमि अधिग्रहण और आपत्ति अभिलेख। संबंधित बैठक के मिनट्स / कार्यवृत्त। सार्वजनिक जनसुनवाई की निर्धारित तिथि।
आगामी कदमों की चेतावनी
यदि निर्धारित अवधि में उत्तर नहीं दिया जाता, तो समिति ने तीन चरणों में कार्रवाई की घोषणा की है शांतिपूर्ण जन-आंदोलन, शांति मार्च और व्यापारी बंद, किया जाएगा । उच्च न्यायालय ग्वालियर में जनहित याचिका (PIL), दाखिल की जाएगी। परियोजना की वैधानिक समीक्षा हेतु न्यायिक आयोग की मांग की है। समिति ने कहा है कि यदि जनता की बात सुने बिना परियोजना निर्णय थोपे जाते हैं, तो उसकी परिणामी जन-प्रतिक्रिया के लिए गोहद प्रशासन स्वयं उत्तरदायी होगा, जनता नहीं।



