
भोपाल । मध्यप्रदेश में मत्स्य पालन अब केवल आजीविका का साधन न रहकर एक संगठित, तकनीक आधारित और लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर रहा है। बीते दो वर्षों में राज्य सरकार द्वारा लागू योजनाओं, आधुनिक तकनीकों और सहकारी ढांचे के सशक्तिकरण से मत्स्य उत्पादन, बीज उत्पादन, अवसंरचना, मछुआ कल्याण और रोजगार सृजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं। इससे मछुआ समुदाय की आय और सामाजिक सुरक्षा में वास्तविक सुधार देखने को मिला है।
मत्स्य उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि
वर्ष 2024-25 में मध्यप्रदेश ने 4.45 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन अर्जित किया, जो निर्धारित लक्ष्य से 15 प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण तालाबों, सिंचाई जलाशयों और बड़े जलाशयों में उत्पादकता लगातार बढ़ी है। Biofloc, RAS और केज कल्चर जैसी आधुनिक तकनीकों ने उत्पादन क्षमता को नई ऊंचाई दी है।
मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता
राज्य में वर्ष 2024-25 के दौरान 217.76 करोड़ स्टेण्डर्ड फ्राई का उत्पादन किया गया। विभागीय, महासंघ और निजी क्षेत्र की कुल 120 हैचरियों की सक्रिय भागीदारी से प्रदेश मत्स्य बीज उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की सफलता
PMMSY अंतर्गत 2024-25 में ₹122.50 करोड़ की वित्तीय उपलब्धि दर्ज की गई। हैचरी, आइस प्लांट, फीड मिल, कोल्ड चेन, Biofloc, RAS और केज कल्चर अवसंरचना के विकास से तकनीक आधारित मत्स्य पालन को बढ़ावा मिला, जिससे रोजगार और आय में वृद्धि हुई।
मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना
मछुआ परिवारों की आर्थिक मजबूती के लिए योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया। 2024-25 में 87 प्रतिशत वित्तीय प्रगति प्राप्त हुई। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर किसान क्रेडिट कार्ड, प्रशिक्षण, स्मार्ट फिश पार्लर और बीज संवर्धन जैसी गतिविधियाँ संचालित की गईं।
सहकारिता, KCC और नवाचार
प्रदेश में 2641 मत्स्य सहकारी समितियाँ सक्रिय हैं, जिनसे 99,951 सदस्य जुड़े हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला समितियों की भागीदारी बढ़ी है। अब तक 1,63,319 किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किए गए, जिससे अंतर्देशीय मत्स्य पालन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। इंदिरा सागर जलाशय में ड्रोन और GPS आधारित निगरानी से अवैध मत्स्याखेट पर नियंत्रण संभव हुआ है।
विज़न 2047 की ओर कदम
राज्य सरकार ने जलक्षेत्र के अधिकतम उपयोग और आत्मनिर्भर मछुआ समुदाय के निर्माण हेतु दीर्घकालीन सतत मत्स्य विकास रणनीति लागू की है। कुल मिलाकर, बीते दो वर्षों में मध्यप्रदेश ने मत्स्य पालन को समृद्धि और रोजगार का सशक्त माध्यम बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।



