भोपाल।नराजधानी भोपाल में रविवार को ब्राह्मण समाज और स्वर्ण समाज के सैकड़ों लोगों ने मुख्यमंत्री निवास के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन प्रदेशभर में फैले आक्रोश का प्रतीक बन गया, जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। आंदोलन का संचालन ग्वालियर के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी अनिल मिश्रा के नेतृत्व में किया जा रहा था।
प्रदर्शन का मुख्य कारण संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज के विरुद्ध की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी है। समाज का आरोप है कि उक्त टिप्पणी से सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुँची, लेकिन इसके बावजूद अब तक संतोष वर्मा को न तो निलंबित किया गया और न ही उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई हुई। इसी वजह से ब्राह्मण समाज में राज्य सरकार के प्रति गहरा रोष व्याप्त है।
प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक था। न कोई हिंसा, न कोई अव्यवस्था। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों पर वॉटर कैनन का प्रयोग किया, वह भी कड़ाके की ठंड में। इसके बाद प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। कई प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि उन्हें अपराधियों की तरह घसीटा गया, जिससे समाज में आक्रोश और बढ़ गया।
ब्राह्मण समाज का कहना है कि सरकार आरक्षण की आड़ में एक वर्ग के अधिकारों को कमजोर कर रही है, और जब स्वर्ण समाज अपनी बात रखता है तो दमन का रास्ता अपनाया जाता है। प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि क्या यही लोकतंत्र है और क्या यही “सबका साथ, सबका विकास” का दावा है?
आंदोलनकारियों ने स्वर्ण समाज से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि यह लड़ाई किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि अन्याय, दमन और दोहरे मापदंडों के खिलाफ है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने समय रहते समाज की आवाज़ नहीं सुनी, तो इसका जवाब आवाज़, संगठन और वोट के माध्यम से दिया जाएगा।
स्वर्ण समाज का स्पष्ट संदेश है—अंधभक्ति नहीं, अधिकार चाहिए। स्वर्ण समाज जागेगा, तभी लोकतंत्र बचेगा।
भोपाल में ब्राह्मण समाज का उग्र प्रदर्शन: मुख्यमंत्री निवास घेराव, वॉटर कैनन और गिरफ्तारियों से बढ़ा आक्रोश
