
संचार का मात्र 7% शब्दों पर, जबकि 93% नॉन–वर्बल कम्युनिकेशन पर आधारित: मनीषा आनंद
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू), भोपाल में कॉरपोरेट सफलता हेतु पेशेवर व्यक्तित्व निर्माण विषय पर शुक्रवार को एक विशेष विशेषज्ञ सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता पुरस्कार विजेता कॉरपोरेट ट्रेनर एवं मोटिवेशनल स्पीकर सुश्री मनीषा आनंद रहीं, जिन्होंने छात्रों को प्रोफेशनल इमेज बिल्डिंग और कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के प्रभावी तरीकों से अवगत कराया।
सत्र की शुरुआत विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अविनाश बाजपेई द्वारा मुख्य वक्ता के स्वागत से हुई। अपने संबोधन में सुश्री आनंद ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की प्रोफेशनल इमेज बातचीत के पहले ही सात सेकंड में बन जाती है। उन्होंने यह महत्वपूर्ण तथ्य साझा किया कि संचार प्रक्रिया में सिर्फ 7% शब्दों का योगदान होता है, जबकि 93% प्रभाव नॉन–वर्बल कम्युनिकेशन यानी बॉडी लैंग्वेज, चेहरे के भाव, नेत्र संपर्क और आवाज़ के टोन जैसे तत्वों से बनता है।
उन्होंने समझाया कि कॉरपोरेट जगत में व्यक्ति की बॉडी पोस्ट्चर, आत्मविश्वासपूर्ण नज़रें, सौम्य मुस्कान और प्रभावी उपस्थिति उसे भीड़ में अलग पहचान दिलाती है। अक्सर शरीर की भाषा शब्दों के बिना ही बहुत कुछ कह देती है, इसलिए पेशेवर व्यवहार में संतुलन, स्पष्टता और आत्मविश्वास अत्यंत आवश्यक हैं।
सत्र के दौरान आयोजित गतिविधियों में विद्यार्थियों ने सीखा कि बैठने का तरीका, चाल, हावभाव और सूक्ष्म चेहरे के एक्सप्रेशन भी किसी की व्यक्तित्व छवि को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। सुश्री आनंद ने ‘पर्सनल ग्रूमिंग’ पर भी विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि औपचारिक अवसरों पर सही पहनावा, स्वच्छता, उपयुक्त हेयरस्टाइल और संतुलित मेकअप न केवल आत्मविश्वास बढ़ाते हैं बल्कि पेशेवर विश्वसनीयता भी स्थापित करते हैं।
अंत में छात्रों ने संचार कौशल, इंटरव्यू एटीकेट्स और पर्सनल ब्रांडिंग से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका सुश्री आनंद ने व्यावहारिक उदाहरणों के साथ समाधान प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों ने इस सत्र को अत्यंत उपयोगी, प्रेरक और करियर–उन्मुख बताया।
कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक सुश्री मनीषा वर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह सत्र विद्यार्थियों के पेशेवर व्यक्तित्व निर्माण और कॉरपोरेट तैयारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।



