
सभी कर्मचारी संगठनों से एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील
भोपाल। निगम, मंडल, सहकारी संस्थाओं एवं विभिन्न बोर्ड–परिषदों के वरिष्ठ कर्मचारी नेता अरुण वर्मा और अनिल बाजपेई ने कर्मचारियों से जातिगत विभाजन से ऊपर उठकर एकजुट संघर्ष करने की अपील की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कर्मचारियों की कोई जाति नहीं होती, उनकी केवल एक ही जाति होती है कर्मचारी। उन्होंने कहा कि जब तक सभी कर्मचारी संगठन एक स्वर में अपनी मांगें नहीं रखेंगे, तब तक सरकार कर्मचारियों के हितों को गंभीरता से नहीं लेगी।
जातीय संगठनों से कमजोर हुई कर्मचारी एकता
वरिष्ठ कर्मचारी नेता अनिल बाजपेई ने कहा कि एक समय ऐसा था जब कर्मचारियों के बीच जातीय आधार पर संगठन नहीं होते थे। उस दौर में कर्मचारी संगठनों की एकजुट आवाज़ के कारण सरकार महंगाई भत्ता, पदोन्नति, नियमितीकरण और नई नियुक्तियों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय समय पर लिया करती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान में अनेक जातीय कर्मचारी संगठनों को मान्यता दिए जाने के कारण सरकार ने “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाई है। इसका परिणाम यह है कि पिछले कई वर्षों से कर्मचारियों से जुड़े बुनियादी मुद्दों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा रहा।
महंगाई भत्ता और पदोन्नति जैसे मुद्दे अटके
अरुण वर्मा ने कहा कि महंगाई भत्ता, पदोन्नति, नियमितीकरण, रिक्त पदों पर भर्ती जैसे अहम विषय लंबे समय से लंबित हैं। सरकार कर्मचारियों की आपसी एकता की कमी का लाभ उठाकर उनकी जायज मांगों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कर्मचारी संगठन आपसी मतभेद और जातिवाद में उलझे रहेंगे, तो कर्मचारियों का शोषण इसी तरह जारी रहेगा।
सभी संगठनों से एक मंच पर आने की अपील
निगम, मंडल, सहकारी संस्थाएं, बोर्ड, परिषद, प्राधिकरण, नगर निगम और निजी संस्थाओं से जुड़े कर्मचारियों के संगठनों से अनिल बाजपेई और अरुण वर्मा ने अपील की कि वे जातिवाद को भुलाकर एक साझा मंच पर आएं और कर्मचारी हितों के लिए एक साथ आंदोलन करें।



