कर्मचारी मंच का सरकार के आदेश के विरोध में विशाल धरना, 15 दिन में निरस्तीकरण नहीं हुआ तो प्रदेशव्यापी हड़ताल की चेतावनी

भोपाल। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के बैनर तले दैनिक वेतन भोगी, स्थायी कर्मी एवं अंशकालीन कर्मचारियों ने सरकार के 22 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के विरोध में तुलसी उद्यान, सेकंड स्टाफ तुलसी नगर में विशाल धरना-प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने इस आदेश को कर्मचारी विरोधी बताते हुए तत्काल निरस्त करने और अपनी पांच सूत्रीय मांगों को मंजूर करने की पुरजोर मांग की।धरने को मंच से अशोक पांडे, प्रमोद बर्ङे (बैतूल), महेंद्र सारस (धार), सत्येंद्र पांडे, सेवकराम देशमुख, श्यामलाल विश्वकर्मा, दिनेश पटेल सहित कई कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि सरकार का यह आदेश लाखों कर्मचारियों के भविष्य पर सीधा प्रहार है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

तीन लाख पद ‘संखेतर’ घोषित, कर्मचारियों के अधिकार प्रभावित

मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वित्त विभाग द्वारा 22 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के तहत दैनिक वेतन भोगी, स्थायी कर्मी एवं अंशकालीन कर्मचारियों के लगभग तीन लाख पदों को ‘संखेतर’ घोषित कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप छोटे संवर्ग के कर्मचारी अधिकारविहीन हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि इस आदेश के लागू होने के बाद न तो कर्मचारियों के नियमितीकरण की संभावना बचेगी और न ही वे न्यायालय का सहारा ले सकेंगे, जो कि संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

कर्मचारी मंच की पांच सूत्रीय प्रमुख मांगें

धरने के माध्यम से कर्मचारी मंच ने सरकार के समक्ष निम्न मांगें रखीं—

1. 22 दिसंबर 2025 के वित्त विभाग के आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए।
2. पहले दैनिक वेतन भोगी, स्थायी कर्मी एवं अंशकालीन कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए, उसके बाद ही पदों को संखेतर घोषित किया जाए।
3. दैनिक वेतन भोगी, स्थायी कर्मी एवं अंशकालीन कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता प्रदान की जाए।
4. आयुष्मान कार्ड के तहत 5 लाख रुपये तक की मेडिकल सुविधा का लाभ दिया जाए।
5. कर्मचारियों को पेंशन सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

15 दिन में कार्रवाई नहीं तो काम बंद हड़ताल

कर्मचारी मंच ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार ने 15 दिवस के भीतर कर्मचारी विरोधी आदेश को निरस्त नहीं किया, तो प्रदेश के स्थायी कर्मी, दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारी संयुक्त रूप से काम बंद हड़ताल करेंगे। मंच ने कहा कि सरकार के इस आदेश को प्रदेश के किसी भी विभाग में लागू नहीं होने दिया जाएगा। धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की उपस्थिति रही, जिससे यह संकेत मिला कि मुद्दे को लेकर कर्मचारियों में व्यापक असंतोष है। अब निगाहें सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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