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एम्स भोपाल के डॉ. वरुण मल्होत्रा ने NIMHANS में दिया आमंत्रित व्याख्यान, जीवनशैली रोगों पर फिज़ियोलॉजिकल रिसर्च की भूमिका पर किया प्रकाश

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और जनस्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इसी क्रम में एम्स भोपाल के फिजियोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. वरुण मल्होत्रा ने बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के इंटीग्रेटेड हेल्थ क्लिनिक में एक आमंत्रित अकादमिक व्याख्यान दिया। यह व्याख्यान एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

जीवनशैली रोगों की बढ़ती चुनौती पर केंद्रित रहा व्याख्यान

डॉ. मल्होत्रा ने Recent Trends and Future Implications of Physiological Research in Lifestyle Disorders विषय पर आधारित अपने व्याख्यान में गैर-संचारी रोगों (NCDs) की बढ़ती वैश्विक चुनौती पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियां आज तेजी से आम जनसंख्या में फैल रही हैं, लेकिन समय रहते जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करके इन्हें काफी हद तक रोका जा सकता है।

बदली जा सकने वाली आदतें हैं प्रमुख कारण

डॉ. मल्होत्रा, जो कि यूरोपियन लाइफस्टाइल मेडिसिन ऑर्गनाइजेशन (ELMO) से प्रमाणित हेल्थ एंड फिटनेस एडवाइजर भी हैं, ने कहा कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां मुख्य रूप से बदली जा सकने वाली आदतों से उत्पन्न होती हैं। उन्होंने बताया कि अस्वस्थ खानपान, शारीरिक गतिविधि की कमी, अपर्याप्त नींद, अत्यधिक तनाव और सामाजिक जुड़ाव की कमी। इन रोगों के प्रमुख जोखिम कारक हैं।
हालांकि आनुवंशिक कारणों को बदला नहीं जा सकता, लेकिन सही जीवनशैली विकल्प अपनाकर रोगों की रोकथाम और सुधार संभव है।

भगवद्गीता से प्रेरित संतुलित जीवन का संदेश

डॉ. मल्होत्रा ने भगवद्गीता से प्रेरणा लेते हुए भोजन, व्यायाम, कार्य और नींद में संतुलन को स्वस्थ जीवन का मूल मंत्र बताया। उन्होंने आम नागरिकों के लिए व्यावहारिक और उपयोगी सुझाव साझा किए, जिनमें संतुलित आहार नियमित शारीरिक गतिविधि वजन नियंत्रण और पर्याप्त नींद को प्रमुखता से शामिल किया गया।

‘एक्सरसाइज़ ऐज़ मेडिसिन’ की अवधारणा पर जोर

अपने व्याख्यान में डॉ. मल्होत्रा ने Exercise as Medicine की अवधारणा को समझाते हुए कहा कि नियमित व्यायाम कई दवाओं की तरह शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने बताया कि जीवनशैली का सही आकलन, स्पष्ट लक्ष्य निर्धारण,निरंतर प्रेरणा और व्यक्तिगत व्यायाम व पोषण योजना के जरिए दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने लक्षणों के उपचार तक सीमित न रहकर रोगों की रोकथाम पर केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।

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