एम्स के डॉ. समेंद्र करखुर को नेत्र रोग सम्मेलन में तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले

भोपाल। एम्स के वरिष्ठ नेत्र शल्य चिकित्सक डॉ. समेंद्र करखुर ने एक बार फिर प्रदेश का नाम रोशन किया है। 3 से 5 अक्टूबर  तक ग्वालियर में आयोजित मध्यप्रदेश राज्य नेत्र रोग सोसायटी के वार्षिक सम्मेलन में उन्होंने एक साथ तीन प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया। यह किसी एक प्रतिभागी को मिले सर्वाधिक पुरस्कार हैं। डॉ. करखुर को मिला पहला सम्मान स्टार ऑफ एमपी पुरस्कार, जो उस चिकित्सक को दिया जाता है जिसने अपने कार्यों से मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई हो। दूसरा सम्मान आईबी गोयल स्मृति पुरस्कार उन्हें सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक शोधपत्र प्रस्तुति के लिए मिला, जबकि तीसरा डीएनएस चौधरी पुरस्कार पूरे राज्य के विजेताओं में सर्वोत्तम शोधपत्र के लिए प्रदान किया गया।
उनका शोध कार्य बाल चिकित्सा यूवाइटिस और उसके उपचार में नई जैविक चिकित्सा की भूमिका पर आधारित था। अध्ययन से सिद्ध हुआ कि यह नई दवा बच्चों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स की खुराक और दुष्प्रभावों को कम करने में अत्यंत प्रभावी है।
डॉ. करखुर, जो एम्स में एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य विट्रो-रेटिना सर्जन हैं, पहले भी जटिल रेटिना सर्जरी के लिए चर्चित रह चुके हैं, उन्होंने एक मरीज की आंख से 1.5 इंच लंबा जीवित कृमि निकालने की दुर्लभ शल्यक्रिया की थी, जो बाद में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई। एम्स  के कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. माधवानंद कर ने डॉ. करखुर को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए कहा कि उनके योगदान से एम्स और मध्य भारत की चिकित्सा सेवाओं की प्रतिष्ठा नई ऊंचाइयों पर पहुंची है।

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