एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एम्स दिल्ली में आयोजित पीडियाट्रिक हीमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी मास्टरक्लास में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन, एनीमिया और लिंफोमा के उन्नत उपचार पर साझा किए अनुभव

भोपाल, । एम्स भोपाल ने एक बार फिर अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता और चिकित्सकीय विशेषज्ञता से राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया है। एम्स नई दिल्ली में आयोजित “मास्टरक्लास इन पीडियाट्रिक हीमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी” में एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने उल्लेखनीय प्रस्तुति दी और उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
कार्यक्रम में एम्स भोपाल के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र चौधरी ने पीडियाट्रिक एनीमिया पर केंद्रित एक सत्र में बताया कि आयरन, विटामिन B12 और फोलिक एसिड की कमी भारत में बच्चों और किशोरों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के हवाले से बताया कि देश में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया तेजी से बढ़ रहा है। डॉ. चौधरी ने भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना “एनीमिया मुक्त भारत” की जानकारी दी, जो आयरन और फोलिक एसिड की साप्ताहिक खुराक के माध्यम से बच्चों, किशोरों और महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम पर कार्य कर रही है।
दूसरी ओर, डीएम पीडियाट्रिक हीमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी रेजिडेंट डॉ. पक्किरेश रेड्डी ने एक चुनौतीपूर्ण क्लिनिकल केस साझा किया जिसमें एक दो वर्षीय बच्चे में प्रारंभ में फेफड़ों के संक्रमण की आशंका थी, परन्तु उन्नत जाँच के बाद लिंफोमा कैंसर की पुष्टि हुई। डॉ. रेड्डी ने बताया कि लिंफोमा में कोशिकाओं की तीव्र वृद्धि और टूटने के कारण शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है, जो बीमारी की पहचान में सहायक हो सकता है। इस केस में एम्स भोपाल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. उज्जवल खुराना ने फ्लो साइटोमेट्री तकनीक की मदद से लिंफोमा की पुष्टि की, जिसके बाद बच्चे का कीमोथेरेपी द्वारा सफल इलाज जारी है।
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि पर हर्ष जताते हुए कहा, “हमारे संकाय सदस्य और रेजिडेंट डॉक्टर जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल रिसर्च और क्लीनिकल विशेषज्ञता का प्रदर्शन कर रहे हैं, वह संस्थान की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई प्रदान करता है। ऐसे अवसर न केवल चिकित्सकीय ज्ञान को समृद्ध करते हैं, बल्कि देशभर में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करने में भी सहायक होते हैं।”
यह उपलब्धि एम्स भोपाल के सतत प्रयासों, नवीन अनुसंधान और रोगी केंद्रित देखभाल के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। संस्थान भविष्य में भी इसी प्रकार देश के मेडिकल एजुकेशन और चिकित्सा नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।





