भोपाल । राजधानी भोपाल नगर निगम में डीज़ल चोरी का मामला लगातार गहराता जा रहा है। शहर के चार प्रमुख डीज़ल टैंकों — लिंक रोड नंबर 3, आरिफ नगर, बैरागढ़ और दाना पानी — पर लगातार डीज़ल चोरी के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ समय पहले भी यह मामला प्रमुखता से समाचारों की सुर्खियों में था, पर अब एक बार फिर चोरी का यह गोरखधंधा नए और संगठित तरीकों से जारी है।
नगर निगम के पास सैकड़ों गाड़ियां हैं जो शहर भर में सफाई, कचरा प्रबंधन और अन्य कार्यों में लगी होती हैं। इन्हीं वाहनों के ज़रिए डीज़ल चोरी का जाल फैलाया जा रहा है। निगम ने चोरी पर अंकुश लगाने के लिए कई वाहनों में GPS ट्रैकर भी लगाए थे, लेकिन कुछ समय बाद ही चोरों ने उन्हें तोड़कर निकाल फेंका।
सूत्रों के अनुसार, चोरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे लिंक रोड नंबर 3 स्थित डीज़ल टैंक पर निगम के डंपर से, CNG से चलने वाले मैजिक ऑटो में डीज़ल भरकर, चोरी की सप्लाई अन्यत्र ले जाते हैं। हाल ही में, जब पत्रकारों की टीम ने मौके पर कैमरा लेकर पहुंचने की कोशिश की, तो चोरी में लिप्त लोग भाग खड़े हुए और अपने आकाओं व कथित डीज़ल माफिया को सतर्क कर दिया।
यहां तक कि कुछ कर्मचारी पत्रकारों से बदसलूकी पर उतर आए और सार्वजनिक स्थान होने के बावजूद उन्हें रोकने की कोशिश की।
हर गाड़ी के पास डीज़ल लिमिट तय फिर भी चोरी कैसे?
नगर निगम की हर गाड़ी को निश्चित मात्रा में ईंधन दिया जाता है, और उसका रिकॉर्ड भी ईंधन इंडेंट के रूप में मौजूद होता है। फिर सवाल उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में डीज़ल की चोरी डीज़ल टैंक प्रभारी की जानकारी के बिना कैसे हो सकती है? क्या यह कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत का मामला है?
एक अनुमान के मुताबिक, प्रत्येक दिन लगभग 1000 से 1500 लीटर डीज़ल केवल एक टैंक से चोरी किया जा रहा है। यह तब हो रहा है जब नगर निगम की वित्तीय हालत बेहद खराब बताई जा रही है।
CBI जांच की उठी मांग, निगमायुक्त ने लिया संज्ञान
सूत्रों के अनुसार, सोमवार को नगर निगम आयुक्त को मजूबूत सबूतों के साथ शिकायती आवेदन सौंपा जाएगा, जिसमें डीज़ल टैंक प्रभारी की भूमिका की जांच CBI से कराने की मांग की जाएगी। वहीं आयुक्त ने प्रारंभिक कार्रवाई में दो निचले स्तर के कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है।
क्या केवल छोटे कर्मचारी होंगे बलि का बकरा?
जब केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की बात करती हैं, तो अब देखना होगा कि इस मामले में कोई अधिकारी भी कार्रवाई की जद में आता है या नहीं। क्योंकि केवल छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर बड़ी सच्चाई दबाना अब जनता की नजरों से बच नहीं सकेगा।
निष्कर्ष:
भोपाल नगर निगम में जारी डीज़ल चोरी का यह मामला सिर्फ वित्तीय घोटाला नहीं, बल्कि व्यवस्था के भीतर गहराते भ्रष्टाचार और प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। यह अब सिर्फ निगम का मुद्दा नहीं, बल्कि जनहित और जवाबदेही का प्रश्न बन चुका है।
भोपाल नगर निगम में नहीं थम रही डीज़ल चोरी: डीज़ल माफिया बेखौफ, कर्मचारियों की मिलीभगत पर उठे सवाल, सीबीआई जांच की मांग तेज
