
मध्यप्रदेश पुलिस: सेवा, सुरक्षा और संवेदना का जीवंत उदाहरण
भोपाल, । मध्यप्रदेश पुलिस ने एक बार फिर अपने ध्येय वाक्य “सेवा, सुरक्षा और संवेदना” को सार्थक करते हुए मानवीय संवेदनशीलता का उदाहरण पेश किया है। बीते कुछ दिनों में प्रदेशभर में डायल–112 और स्थानीय थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 25 से अधिक गुमशुदा अथवा रास्ता भटके बच्चों को सुरक्षित उनके परिवारों से मिलाया।
भोपाल, ग्वालियर, सागर, देवास, विदिशा, छिंदवाड़ा, पन्ना, कटनी, उज्जैन, खंडवा, नरसिंहपुर, भिंड, नीमच, निवाड़ी, शिवपुरी और खरगोन सहित कई जिलों की पुलिस टीमों ने संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता का परिचय दिया।
संवेदनशील पुलिसिंग के उल्लेखनीय उदाहरण
ग्वालियर: थाना महाराजपुर क्षेत्र में 4 वर्षीय बालक को डायल–112 ने परिवार से मिलाया।
भोपाल: पिपलानी और अयोध्या नगर क्षेत्रों में 3 और 5 वर्षीय बच्चे कुछ ही घंटों में सुरक्षित पाए गए।
छिंदवाड़ा: अमरवाड़ा पुलिस ने सिंगोड़ी बस स्टैंड से मिली 14 वर्षीय अर्धविक्षिप्त बालिका को परिजनों तक पहुँचाया।
पन्ना: शरद पूर्णिमा मेले में खोई मूक-बधिर बच्ची को पुलिस ने खोजकर माँ से मिलवाया।
कटनी: रेलवे स्टेशन के पास मिले 4 वर्षीय मासूम को ढूंढकर पुलिस ने माँ से मिलवाया।
जनविश्वास की मिसाल बनी डायल–112
मध्यप्रदेश पुलिस डायल–112 न केवल आपात सहायता सेवा है, बल्कि यह अब जनविश्वास और मानवीय संवेदना की पहचान बन चुकी है। इन घटनाओं ने सिद्ध किया कि मध्यप्रदेश पुलिस केवल अपराध नियंत्रण तक सीमित नहीं, बल्कि जनसेवा, सुरक्षा और संवेदनशीलता के मूल्यों से ओतप्रोत है।



