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देवास पुलिस की साइबर ठगी रिफंड में बड़ी सफलता, जीरो एफआईआर से 9.86 लाख रुपये सुरक्षित होल्ड

भोपाल, । साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों के बीच देवास पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक बड़ी सफलता हासिल की है। जीरो टॉलरेंस नीति और ई-जीरो एफआईआर प्रणाली के प्रभावी उपयोग से पुलिस ने ऑनलाइन साइबर ठगी के एक मामले में 9 लाख 86 हजार 393 रुपये की पूरी राशि को सुरक्षित होल्ड करा लिया। यह कार्रवाई प्रदेश में साइबर अपराध के विरुद्ध तकनीक-आधारित पुलिसिंग का सशक्त उदाहरण मानी जा रही है।

ऑनलाइन ठगी का पूरा मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार, फरियादी श्री लोकेश विजयवर्गीय, निवासी देवास, प्रॉपर्टी व्यवसाय से जुड़े हैं। उनके मोबाइल नंबर पर एक अज्ञात व्यक्ति ने कॉल कर स्वयं को सुधीर शर्मा बताते हुए 70 टन सरिये के ऑर्डर की बात कही। आरोपी ने 21 टन सरिये के बदले 9 लाख 86 हजार 393 रुपये पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में जमा कराने को कहा। विश्वास में आकर फरियादी ने उक्त राशि RTGS के माध्यम से बताए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। बाद में जब फरियादी ने संबंधित कंपनी से संपर्क किया, तो पता चला कि कंपनी का उस बैंक में कोई खाता ही नहीं है। यहीं से उन्हें साइबर धोखाधड़ी का अहसास हुआ।

जीरो एफआईआर से मिली त्वरित राहत

पीड़ित ने देरी किए बिना ऑनलाइन माध्यम से जीरो एफआईआर दर्ज कराई। देवास पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उसी दिन नियमित एफआईआर दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी। पुलिस ने तकनीकी जांच, बैंकिंग समन्वय और डिजिटल ट्रैकिंग के जरिए तेजी से कार्रवाई करते हुए पूरी ठगी राशि को होल्ड (Hold) करा दिया। इस त्वरित कार्रवाई के चलते फरियादी को बड़ा आर्थिक नुकसान होने से बचा लिया गया।

ई-जीरो एफआईआर प्रणाली की व्यावहारिक सफलता

यह प्रकरण इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था के माध्यम से क्षेत्राधिकार की बाधा समाप्त होती है। एफआईआर तुरंत दर्ज हो पाती है। डिजिटल साक्ष्यों का संरक्षण संभव होता है। बैंकिंग चैनलों को समय रहते सक्रिय किया जा सकता है। जिससे साइबर ठगी के मामलों में समयबद्ध राहत मिलती है।

भविष्य में साइबर अपराध पर लगेगी लगाम

देवास पुलिस द्वारा पायलेट जिले के रूप में की गई यह कार्रवाई दर्शाती है कि तकनीक-आधारित पुलिसिंग और नागरिकों की त्वरित शिकायत से साइबर अपराधियों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। पुलिस का मानना है कि ई-जीरो एफआईआर जैसी पहल भविष्य में साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में पीड़ितों के लिए निर्णायक साबित होगी।

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