
भोपाल। विद्यालयों में मोबाइल फोन के उपयोग पर अब सख्त नियंत्रण की जरूरत महसूस की जा रही है। विशेषज्ञों और शिक्षा प्रेमियों का मत है कि जैसे हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के लिए स्कूल परिसर में मोबाइल प्रतिबंध लागू किया है, वैसे ही अन्य राज्यों को भी इस दिशा में कदम उठाना चाहिए। वर्तमान में बच्चों के लिए तो मोबाइल पर रोक है, परंतु शिक्षकों द्वारा भी कक्षा समय में मोबाइल का उपयोग शिक्षण गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।
मोबाइल फोन आज समाज में समस्याओं की जड़ बन चुका है। जहां विकसित देशों में इसे केवल आवश्यकता के समय प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, वहीं भारत में युवा वर्ग घंटों रील्स बनाने और देखने में अपना कीमती समय गँवा रहा है। यही नहीं, अपराधों की जाँच में भी मोबाइल फोन का दुरुपयोग प्रमुख कारण के रूप में सामने आ रहा है। अनेक बड़े आपराधिक मामलों की तह में मोबाइल के गलत उपयोग का होना साबित हुआ है।
शिक्षा क्षेत्र में भी यह चिंता बढ़ रही है कि जब सरकार के पास एनआईसी (NIC) जैसी सुरक्षित तकनीकी व्यवस्था उपलब्ध है, तब शिक्षकों के शासकीय डेटा को प्राइवेट सर्वरों या एजेंसियों को सौंपना न केवल जोखिम भरा बल्कि अवैधानिक कार्य है।
अतः अब समय आ गया है कि सरकार विद्यालयों में मोबाइल उपयोग को लेकर नई गाइडलाइन जारी करे, ताकि शिक्षा का वातावरण अनुशासित और सुरक्षित बनाया जा सके।