भोपाल, 7 मई 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में आयोजित राष्ट्रीय ब्लैकआउट मॉक ड्रिल 2025 के अंतर्गत एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) ने आम नागरिकों के लिए विशेष CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। यह सत्र एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य था — आपातकालीन स्थिति (जैसे युद्ध, प्राकृतिक आपदा या बिजली गुल) में आम लोगों को त्वरित प्राथमिक चिकित्सा देने में सक्षम बनाना।
जीवन रक्षक तकनीकों की जनजागरूकता को मिला नया आयाम
इस विशेष सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) के सदस्यों द्वारा किया गया। मेडिसिन विभाग के सीनियर रेज़िडेंट डॉ. संजय मंडलोई ने प्रतिभागियों को सरल भाषा में बताया कि जब किसी व्यक्ति की सांसें रुक जाएं या दिल की धड़कन बंद हो जाए, तो सीपीआर तकनीक के माध्यम से बिना किसी विशेष उपकरण के भी उसकी जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगर सीपीआर पहले तीन से पांच मिनट के भीतर दिया जाए, तो लगभग 70% मामलों में मरीज को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
छह स्थानों पर हुआ आयोजन, 500 से अधिक नागरिकों ने लिया प्रशिक्षण
एम्स भोपाल परिसर के छह अलग-अलग स्थलों पर यह प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 500 से 600 नागरिकों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को सीपीआर की व्यावहारिक तकनीक सिखाई गई — जैसे कि हाथ की स्थिति, छाती पर दबाव देने का तरीका, संजीवनी सांस देना और कब एम्बुलेंस बुलानी चाहिए।
यह पहल सिर्फ एक मॉक ड्रिल नहीं, बल्कि एक जनहित अभियान था, जिससे नागरिकों को आपदा प्रबंधन की सक्रिय भूमिका में शामिल किया गया। सीपीआर जैसे जीवनरक्षक कौशल का व्यापक प्रचार कर एम्स भोपाल ने यह सिद्ध किया कि आपातकाल के समय सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, आम जनता भी नायक बन सकती है।
प्रो. (डॉ.) अजय सिंह का संदेश: हर नागरिक बने ‘लाइफसेवर रेडी’
इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा:
> “यह आयोजन केवल एक मॉक ड्रिल नहीं था, बल्कि यह हर नागरिक को ‘ब्लैकआउट रेडी’ और ‘लाइफसेवर रेडी’ बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल थी। हमारी कोशिश है कि आपातकालीन स्थितियों में जनभागीदारी को बढ़ाया जाए और हर नागरिक को बुनियादी जीवनरक्षक तकनीकों से सशक्त किया जाए।”
ब्लैकआउट मॉक ड्रिल के अंतर्गत एम्स भोपाल में आम नागरिकों को मिला सीपीआर प्रशिक्षण, 600 लोगों ने सीखी जीवनरक्षक तकनीक
