Bhopal . भोपाल के विंड्स ऐंड वेव्स और बोट क्लब से जुड़े एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में क्राइम ब्रांच ने मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के तत्कालीन दो प्रबंधकों समेत कुल पांच लोगों पर गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। शुरुआती जांच में 80 लाख 81 हजार रुपये के फर्जी बिल, जाली कोटेशन और साजिशन बनाई गई फर्मों के जरिए सरकारी धन की बंदरबांट का खुलासा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि यदि पुरानी खरीदी की पूर्ण जांच कराई गई, तो करोड़ों में घोटाले के उजागर होने की संभावना है।
पर्यटन निगम में बड़ा खेल , फर्जी बिल और फर्जी फर्मों से की गई पेमेंट
राज्य पर्यटन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक हर्नाथ सिंह दंडोतिया की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने यह मामला दर्ज किया है। एफआईआर में निगम के तत्कालीन प्रबंधक अरविंद शर्मा और अनिल कुरुप को मुख्य आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इन दोनों ने साजिशपूर्वक तीन निजी फर्मों के संचालकों के साथ मिलकर सरकारी धन के दुरुपयोग की संगठित योजना बनाई। जांच में जिन फर्म संचालकों को आरोपी बनाया गया है, उनमें देबजानी मुखर्जी – मेसर्स गणेश ट्रेडर्स एवं आदित्य एंटरप्राइजेस, आदित्य मुखर्जी – मेसर्स सिद्धि विनायक ट्रेडर्स, संजय मुखर्जी – संबंधित लेनदेन से जुड़े परिवार के सदस्य शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी बिल, जाली कोटेशन और कागज़ी खरीद दिखाकर सरकारी राशि को निजी लाभ के लिए हड़प लिया।
80.81 लाख के जाली बिलों का खुलासा , कई पेमेंट पहले ही हो चुकी थी
क्राइम ब्रांच की अब तक की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि पर्यटन निगम के नाम पर 80,81,000 रुपये के फर्जी बिल बनाए गए।जाली कोटेशन तैयार किए गए और इन फर्जी फर्मों के खातों में बड़ी रकम पहले ही ट्रांसफर की जा चुकी थी। अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआती आंकड़ा है। यदि बोट क्लब और विंड्स एंड वेव्स की पिछली सभी खरीदी और पेमेंट की जांच की जाए, तो पूरा घोटाला कई करोड़ रुपये का निकल सकता है।
विदेश तक की अय्याशी, जनता के पैसे से की गई लक्जरी ट्रिप
सूत्रों के अनुसार जांच में यह भी सामने आया है कि पर्यटन निगम पर बैठे कुछ जिम्मेदार अधिकारी और व्यवस्थापक, सरकारी फंड का उपयोग विदेश यात्राओं, लक्जरी खर्चों और मंहगी खरीद में कर रहे थे। यह पैसा वह था जो जनता से कर के रूप में वसूला गया और जिसे पर्यटन विकास के लिए उपयोग किया जाना था। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ खरीदी घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यवस्थित तरीके से वर्षों तक सिस्टम का दुरुपयोग किया गया है।
बड़ी कार्रवाई की तैयारी, और भी नाम आ सकते हैं सामने
क्राइम ब्रांच ने दस्तावेज़ों, बैंक ट्रांजेक्शन्स और ई-मेल रिकॉर्ड्स को खंगालना शुरू कर दिया है। प्रारम्भिक जांच के बाद यह माना जा रहा है कि मामले में और भी अधिकारियों की भूमिका सामने आ सकती है। कई पुराने खरीद आदेशों और पेमेंट फाइलों को खंगालने की जरूरत है सभी फर्मों की वास्तविकता की जांच कराई जा रही है सूत्रों का दावा है कि यह घोटाला सामने आने के बाद पर्यटन निगम में घबराहट का माहौल है और कई अधिकारी अपने बचाव में दस्तावेज़ इकट्ठा करने में लगे हैं।
मध्यप्रदेश पर्यटन निगम में भ्रष्टाचार का पर्यटन उजागर : दो पूर्व प्रबंधकों समेत 5 पर FIR, 80 लाख के फर्जी बिलों का खुलासा
