
भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) संस्थान के कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ प्रो. माधवानन्द कर के मार्गदर्शन में पीओसी अनुसंधान को नई दिशा देने हेतु एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है। इस क्रम में ईज़बायो संस्था की संस्थापक एवं सीईओ डॉ. रीम महरात ने एम्स भोपाल के जैव रसायन विभाग का दौरा किया। ईज़बायो एक प्रिसिजन हेल्थ कंपनी है, जो निदान और निवारक स्वास्थ्य देखभाल में नवीन तकनीकी दृष्टिकोण विकसित करने के लिए समर्पित है।
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर, चयापचय और मानसिक तनाव पर होगा संयुक्त शोध
डॉ. रीम महरात ने अपने दौरे के दौरान एम्स भोपाल के वैज्ञानिकों के साथ गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, चयापचय संबंधी विकारों और मानसिक तनाव पर अनुसंधान सहयोग का प्रस्ताव रखा। यह पहल भविष्य में भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा क्षेत्र में नए रास्ते खोलेगी। 13 अक्टूबर 2025 को एम्स में डॉ. रीम महरात का अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसका विषय था स्वास्थ्य सेवा निदान में एआई सक्षम पीओसी की भूमिका। यह व्याख्यान डॉ. रश्मि चौधरी के सौजन्य से आयोजित किया गया था, जिसमें एम्स के फैकल्टी, फेलोज़, छात्र और शोधकर्ता शामिल हुए।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वास्थ्य निदान का समन्वय
सत्र के दौरान स्वास्थ्य निदान में एआई की भूमिका, रोगी देखभाल में इसके संभावित प्रभाव और भविष्य के शोध अवसरों पर गहन चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने तकनीकी नवाचार, डेटा-आधारित निदान और रोग-निवारण में डिजिटल समाधान की संभावनाओं पर विचार साझा किए।
संयुक्त शोध परियोजनाएँ और भविष्य का अनुबंध
ईज़बायो ने डॉ. रश्मि चौधरी के साथ दो शोध परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की घोषणा की है। इसके अलावा, डॉ. रीम महरात और उनकी टीम ने प्रो. (डॉ.) रेहान उल हक (डीन, रिसर्च) से शिष्टाचार भेंट की और भविष्य में एम्स भोपाल व ईज़बायो के बीच समझौता ज्ञापन पर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। इस अवसर पर डॉ. सागर खडंगा (मेडिसिन), डॉ. शिल्पा कौर (फार्माकोलॉजी), डॉ. उज्जवल खुराना (पैथोलॉजी), डॉ. भारती सिंह (ओबीजी), डॉ. नेहा आर्या (ट्रांसलेशनल मेडिसिन), डॉ. अशोक कुमार, डॉ. अश्विन कुमार, डॉ. आशीष जाधव, डॉ. सुखेस मुखर्जी और डॉ. राम रतन (बायोकेमिस्ट्री) सहित कई विशेषज्ञों ने इस चर्चा में भाग लिया।
अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग से खुले नए अवसर
जैव रसायन विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) जगत आर. कंवर ने बताया कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग से स्वास्थ्य निदान और रोग-प्रिवेंटिव तकनीकों के क्षेत्र में व्यापक सुधार होंगे। उन्होंने कहा कि जब विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ एक मंच पर मिलकर काम करते हैं, तो यह मरीजों के लिए अधिक सटीक, तेज़ और व्यक्तिगत स्वास्थ्य समाधान प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होता है।
एम्स भोपाल की दिशा
एम्स भोपाल ने इस सहयोग को एक “प्रभावी शोध-साझेदारी” की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है, जिससे आम नागरिकों को भविष्य में अधिक सटीक निदान, बेहतर रोग प्रबंधन और निवारक स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएँ प्राप्त होंगी।