भोपाल, मध्य प्रदेश। राजधानी भोपाल के रत्नागिरी-अयोध्या बायपास क्षेत्र में प्रस्तावित सड़क निर्माण के लिए 8000 से अधिक हरे-भरे वृक्षों को काटने के सरकारी निर्णय के खिलाफ अब व्यापक जनआंदोलन की तैयारी की जा रही है। इस बार मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने मोर्चा संभालते हुए 18 मई 2025 को चिपको आंदोलन आयोजित करने का ऐलान किया है।
वृक्षों को बचाने सड़क पर उतरे कर्मचारी
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि भोपाल का पर्यावरण पहले ही लगातार विकास कार्यों की मार झेल रहा है। अब 8000 पेड़ों की बलि देकर सड़क निर्माण करना, शहर की हरियाली और पारिस्थितिक संतुलन पर सीधा हमला है। उन्होंने बताया कि इस कटाई के खिलाफ पहले ही भोपाल की जनता और कई सामाजिक संगठनों ने आवाज़ उठाई है, और अब सरकारी कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
18 मई को होगा प्रतीकात्मक चिपको आंदोलन
आंदोलन के तहत 18 मई को कर्मचारी मंच के सदस्य उन वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधेंगे जिन्हें काटा जाना प्रस्तावित है। साथ ही वृक्षों से चिपक कर चिपको आंदोलन की ऐतिहासिक परंपरा को दोहराते हुए सरकार से अनुरोध करेंगे कि इस निर्णय को वापस लिया जाए।
मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा ज्ञापन
आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा, जिसमें मांग की जाएगी कि हरे-भरे वृक्षों की कटाई तुरंत रोकी जाए और वैकल्पिक समाधान तलाशे जाएं जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
सरकारी अभियानों पर उठे सवाल
अशोक पांडे ने यह भी याद दिलाया कि स्वयं मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने वृक्षारोपण को जन आंदोलन बनाने के लिए “एक वृक्ष माँ के नाम” और “एक वृक्ष लाड़ली लक्ष्मी के नाम” जैसे अभियान शुरू किए थे, लेकिन उन्हीं की सरकार में अब हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं। यह न सिर्फ नीति विरोधाभास है, बल्कि जनता की भावनाओं से भी खिलवाड़ है।
निष्कर्ष: इस चिपको आंदोलन से साफ है कि अब भोपाल की जनता और कर्मचारी दोनों पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट हो रहे हैं। यदि शासन ने समय रहते निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया, तो यह आंदोलन एक व्यापक जनआंदोलन का रूप ले सकता है।
भोपाल में 8000 पेड़ों की कटाई के विरोध में 18 मई को होगा चिपको आंदोलन, कर्मचारी मंच उठाएगा पर्यावरण बचाने का बीड़ा
