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बच्चों ने टेलिस्कोप से किया सौर धब्बों का निरीक्षण, बनाया पिनहोल कैमरा मॉडल

भोपाल में आंचलिक विज्ञान केंद्र द्वारा सूर्य विषय पर अवकाशकालीन रचनात्मक विज्ञान कार्यशाला का आयोजन

भोपाल, । गर्मियों की छुट्टियों के दौरान बच्चों की रचनात्मकता और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आंचलिक विज्ञान केंद्र, भोपाल द्वारा आयोजित की जा रही अवकाशकालीन रचनात्मक विज्ञान कार्यशालाएं बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय साबित हो रही हैं। इन कार्यशालाओं के अंतर्गत, दिनांक 26 से 30 मई 2025 तक “सूर्य: हमारे मूल तारे का अध्ययन” विषय पर गतिविधि-आधारित विशेष सत्र आयोजित किया जा रहा है।

सूर्य की संरचना और अंतरिक्ष विज्ञान पर केंद्रित सत्र

कार्यशाला के पहले तीन दिनों के दौरान प्रतिभागियों को सूर्य के वैज्ञानिक पक्ष से गहराई से परिचित कराया गया।
प्रमुख विषयों में शामिल रहे:

सूर्य की संरचना और ऊर्जा का स्रोत

सौर धब्बे (Sunspots) और उनका निर्माण

सौर चक्र (Solar Cycle) की अवधारणा

अंतरिक्ष आधारित सौर वेधशालाओं की जानकारी, जैसे:

SOHO (Solar and Heliospheric Observatory)

भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य एल1 (Aditya-L1)

टेलिस्कोप के माध्यम से सूर्य अवलोकन और सौर धब्बों का चित्रण

प्रतिभागियों ने उच्च गुणवत्ता वाली टेलिस्कोप की मदद से सूर्य और उसके सौर धब्बों का निरीक्षण किया।

बच्चों ने अपने अवलोकनों को चित्र रूप में कागज पर रेखांकित किया।

इन चित्रों की तुलना अंतरराष्ट्रीय वेधशालाओं द्वारा प्रदान की गई आधिकारिक सौर छवियों से की गई, जिससे उनकी पर्यवेक्षण क्षमता और वैज्ञानिक समझ को बल मिला।

पिनहोल कैमरा मॉडल का निर्माण – सूर्य को सुरक्षित देखने की तकनीक

28 मई को, कार्यशाला के तीसरे दिन, प्रतिभागियों ने सूर्य की छवि को सुरक्षित ढंग से देखने के लिए पिनहोल कैमरा का मॉडल बनाया।

यह गतिविधि छात्रों में प्रायोगिक विज्ञान और नवाचार की समझ को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही।

प्रतिभागियों ने न केवल कैमरे का मॉडल तैयार किया, बल्कि उसका प्रयोग भी कर सूर्य की छवि का सफल अवलोकन किया।

12 विद्यार्थियों की भागीदारी – विज्ञान में रुचि को नया आयाम

इस कार्यशाला में कुल 12 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिन्होंने अपने अनुभवों को बेहद उत्साहपूर्वक साझा किया।

प्रतिभागी बच्चों ने सूर्य से संबंधित विज्ञान को खेल व प्रायोगिक गतिविधियों के माध्यम से समझा।

बच्चों के अभिभावकों ने भी इस पहल की सराहना की और इसे गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए रचनात्मक विकल्प बताया।


निष्कर्ष: बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की पहल

भोपाल स्थित आंचलिक विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित यह कार्यशाला न केवल बच्चों को सौर विज्ञान जैसे जटिल विषय से जोड़ती है, बल्कि उन्हें प्रयोग, निरीक्षण और तुलना जैसे वैज्ञानिक मूल्यों से भी परिचित कराती है।
यह प्रयास नई पीढ़ी में वैज्ञानिक चेतना, जिज्ञासा और पर्यवेक्षण की क्षमता को विकसित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।

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