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बिजली के निजीकरण पर केंद्र सरकार की धमकी: कांग्रेस ने कहा जनता की संपत्ति पूंजीपतियों को नहीं सौंपने देंगे

भोपाल । केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को बिजली वितरण के निजीकरण के लिए “ग्रांट रोकने” की चेतावनी देने पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. विक्रम चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह नीति जनता की संपत्ति को पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश है, जो संविधान के संघीय ढांचे और जनहित दोनों के खिलाफ़ है। कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. विक्रम चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार बिजली वितरण के निजीकरण के लिए राज्यों पर दबाव बना रही है और अनुदान रोकने की धमकी देकर संघीय व्यवस्था पर हमला कर रही है। उन्होंने कहा कि यह नीति जनता की संपत्ति को पूंजीपतियों की झोली में डालने की खुली साज़िश है।

डॉ. चौधरी ने कहा कि बिजली जनता के टैक्स से बनी जनसेवा की व्यवस्था है, जिसे निजी कंपनियों के हाथों में सौंपना आम उपभोक्ताओं के हितों पर कुठाराघात है। निजी कंपनियाँ केवल मुनाफ़े के लिए काम करती हैं, जिससे बिजली दरें बढ़ेंगी, ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा होगी और किसानों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह फैसला कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुँचाएगा। किसानों को सस्ती दर पर बिजली मिलना बंद हो जाएगा, जिससे खेती की लागत बढ़ेगी और ग्रामीण जीवन प्रभावित होगा। डॉ. चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार लगातार पूंजीपतियों की तिजोरियाँ भरने में लगी है, जबकि जनता महंगाई और बेरोज़गारी से त्रस्त है। अब बिजली जैसी मूलभूत सार्वजनिक संपत्ति को बेचने की कोशिश की जा रही है।

कांग्रेस की मांगें:

1. केंद्र सरकार बिजली के निजीकरण की नीति तुरंत वापस ले।
2. राज्य सरकारें जनता की संपत्ति को बेचने के किसी दबाव में न आएं।
3. किसानों और आम उपभोक्ताओं को सस्ती, भरोसेमंद बिजली की गारंटी दी जाए।
4. सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों को मज़बूत किया जाए, निजीकरण नहीं किया जाए।

अंत में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जनता की बिजली को बिकने नहीं देगी यह लड़ाई सड़कों से लेकर सदन तक लड़ी जाएगी।

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