
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी से मप्र खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की भेंट, किसानों और उपभोक्ताओं से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा
भोपाल। मध्यप्रदेश में खाद्यान्न प्रबंधन प्रणाली को और अधिक सुदृढ़, पारदर्शी तथा तकनीक-संचालित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान केंद्र–राज्य समन्वय से जुड़े कई नीतिगत, वित्तीय और तकनीकी विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।.बैठक में अपर मुख्य सचिव खाद्य श्रीमती रश्मि अरुण शमी, आयुक्त खाद्य कर्मवीर शर्मा तथा मप्र राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अनुराग वर्मा भी उपस्थित रहे। मंत्री श्री राजपूत ने प्रदेश में खाद्यान्न उपार्जन, भंडारण, वितरण और गुणवत्ता सुधार से संबंधित मौजूदा व्यवस्था की जानकारी देते हुए केंद्र सरकार के समक्ष शीघ्र निर्णय योग्य प्रस्ताव रखे।
किसानों को समय पर भुगतान पर जोर
खाद्य मंत्री श्री राजपूत ने राज्य में वर्तमान विकेन्द्रीकृत उपार्जन व्यवस्था के स्थान पर केंद्रीयकृत प्रणाली लागू करने अथवा अनुमानित उपार्जन के अनुरूप समर्थन मूल्य की एकमुश्त अग्रिम राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इससे किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा और राज्य पर पड़ने वाला वित्तीय दबाव भी कम होगा।
अतिशेष गेहूं उठाव और बकाया भुगतान की मांग
मंत्री श्री राजपूत ने मध्यप्रदेश में उपार्जित अतिशेष गेहूं का एफसीआई द्वारा शीघ्र उठाव कराने या गोदामों में भंडारित गेहूं को यथास्थिति अधिग्रहित कर तत्काल भुगतान शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, प्रदेश की खाद्यान्न साख सीमा को 20 वर्ष के दीर्घकालीन ऋण में परिवर्तित करने और नागरिक आपूर्ति निगम के विरुद्ध लंबित लगभग 7511 करोड़ रुपये के शीघ्र भुगतान की मांग भी रखी।
डेटा प्रबंधन और पारदर्शिता पर फोकस
उन्होंने वर्ष 2020–21 और 2022–23 के वितरित खाद्यान्न से संबंधित डेटा को सेंट्रल रिपोजिटरी में अपलोड करने की लंबित प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण कराने का आग्रह किया। मंत्री ने कहा कि तकनीकी नवाचार और डेटा पारदर्शिता से खाद्यान्न प्रबंधन प्रणाली अधिक प्रभावी बनेगी।
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने सभी प्रस्तावों पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। यह बैठक प्रदेश के किसानों, उपभोक्ताओं और शासन—तीनों के लिए दीर्घकालीन लाभकारी सिद्ध होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।



