लखीमपुर में जल निगम की टंकी फटने का मामला: AE और JE बर्खास्त, EXEN योगेंद्र नीरज को बचाया गया, करोड़ों के घोटाले का खुलासा

लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश – ताजा खबर:
लखीमपुर में जल निगम की पानी की टंकी फटने के गंभीर मामले में आखिरकार बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई है। इस हादसे को लेकर जनता और मीडिया के बढ़ते दबाव के बाद जल निगम ने दो अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। जबकि मुख्य अभियंता (EXEN) योगेंद्र नीरज को सिर्फ मुख्यालय से अटैच कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की जा रही है।

AE एहसान खान और JE महेंद्र कुमार को बर्खास्त किया गया
सूत्रों के अनुसार, जल निगम के सहायक अभियंता (AE) एहसान खान और जूनियर इंजीनियर (JE) महेंद्र कुमार को लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से सेवा से हटा दिया गया है। इन पर टंकी निर्माण में घटिया सामग्री और निरीक्षण में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगे थे।

EXEN योगेंद्र नीरज पर भी आरोप, लेकिन कार्रवाई सीमित
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि टंकी निर्माण की जिम्मेदारी जिन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (EXEN) योगेंद्र नीरज पर थी, उन्हें केवल मुख्यालय से अटैच किया गया है। जबकि निर्माण कार्य उन्हीं की देखरेख में हुआ था। सूत्रों का दावा है कि योगेंद्र नीरज ने अंदरूनी ‘सेटिंग’ कर बड़ी कार्रवाई से खुद को बचा लिया है।

भाई की फर्म को दिलाया करोड़ों का ठेका
इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की परतें और भी गहरी हैं। खुलासा हुआ है कि योगेंद्र नीरज ने अपने भाई की फर्म ‘अक्षिता कंस्ट्रक्शन’ को करोड़ों रुपये के ठेके दिलवाए। हैरानी की बात यह है कि इन अधूरे और मानकविहीन निर्माण कार्यों की आज तक कोई जांच नहीं हुई है।

चीफ इंजीनियर RB राम पर संरक्षण का आरोप
मामले में एक और बड़ा नाम सामने आ रहा है – जल निगम के चीफ इंजीनियर आरबी राम। उन पर आरोप है कि उन्होंने योगेंद्र नीरज को संरक्षण देकर उसे बड़ी कार्रवाई से बचाया। इस संरक्षण ने पूरे तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

निष्कर्ष:
लखीमपुर जल निगम टंकी हादसा अब सिर्फ एक निर्माण दोष नहीं, बल्कि व्यवस्था में छिपे गहरे भ्रष्टाचार की कहानी बन चुका है। AE और JE को बर्खास्त कर सरकार ने आंशिक कार्रवाई जरूर की है, लेकिन EXEN और उससे ऊपर के अधिकारियों पर अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि उत्तर प्रदेश में जल निगम घोटाले जैसे मामलों में राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण किस तरह सच्चाई को दबा देता है।

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