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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण उत्पीड़न का आरोप, फर्जी SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज: भीम आर्मी और पुलिस पर पक्षपात के आरोप

हाथरस (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश में जातिगत विवाद और ब्राह्मण समुदाय के उत्पीड़न का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। एक स्थानीय ब्राह्मण युवक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर गंभीर आरोप लगाए हैं। युवक का कहना है कि उसे जाति के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है और फर्जी SC/ST एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज कर उसे अपराधी बनाने की साजिश की जा रही है।

युवक ने दावा किया कि भीम आर्मी के साथ मिलकर हाथरस पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दो फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें SC/ST एक्ट की धाराएं भी शामिल हैं। उसने यह भी कहा कि उसके विरुद्ध धारा 35 के तहत नोटिस भेजा गया है।

युवक ने आगे लिखा कि वह जल्द ही हाथरस के पुलिस अधीक्षक (SP) से मिलकर न्याय की गुहार लगाएगा। अगर उसे न्याय नहीं मिला तो वह सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में जनेऊ का त्याग कर विरोध दर्ज कराएगा। युवक ने आरोप लगाया कि प्रदेश में जो कोई भी सवर्णों की आवाज उठाता है, उसे या तो भीम आर्मी या पुलिस के जरिए फंसाने की कोशिश की जाती है।

13 वर्षीय मूकबधिर दिव्यांग बालक पर हमला, FIR नहीं

घटना से जुड़े एक अन्य मामले में युवक ने दावा किया कि हाथरस के मुरसान क्षेत्र में एक 13 वर्षीय मूकबधिर दिव्यांग बालक सुमित शर्मा को भीम आर्मी के कथित कार्यकर्ताओं ने उसके घर से जबरन उठाकर ले जाया और उसके साथ मारपीट कर वीडियो वायरल किया। युवक का आरोप है कि इस जानलेवा हमले और अमानवीय कृत्य के बावजूद अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं की गई है।

पुलिस का पक्ष

इस पूरे मामले पर हाथरस पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि, “संदर्भित प्रकरण में माननीय न्यायालय के आदेश के अनुपालन में थाना मुरसान पुलिस द्वारा सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है। पुलिस साक्ष्यों के आधार पर नियमानुसार जांच कर रही है।”

ब्राह्मण समाज का आक्रोश और जातिगत राजनीति का आरोप

सोशल मीडिया और स्थानीय मंचों पर इस मुद्दे को लेकर ब्राह्मण समुदाय में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को बार-बार निशाना क्यों बनाया जा रहा है? आरोप है कि कुछ संगठन देवी-देवताओं और सवर्ण समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती, उल्टा ब्राह्मणों को ही प्रताड़ित किया जा रहा है।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि जातिगत राजनीति और सामाजिक संतुलन के दृष्टिकोण से भी गंभीर है। यदि लगाए गए आरोप सही हैं तो यह SC/ST एक्ट के दुरुपयोग और सवर्णों के उत्पीड़न की एक बड़ी मिसाल बन सकता है। वहीं, पुलिस और प्रशासन की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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