जबलपुर। मध्य प्रदेश की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधायक बनीं निर्मला सप्रे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, एमपी हाईकोर्ट, जबलपुर ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और विधायक निर्मला सप्रे दोनों को नोटिस जारी किया है। मामला दल बदल कानून से जुड़ा है। कांग्रेस से निर्वाचित होने के बावजूद निर्मला सप्रे हाल ही में भाजपा नेताओं के साथ सार्वजनिक मंचों पर प्रचार करती हुई दिखाई दी थीं, जिसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने इसे दल बदल की श्रेणी में माना। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सप्रे के विरुद्ध अयोग्यता (डिस्क्वालिफिकेशन) की कार्रवाई की मांग की थी।
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से इस पर 16 महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके चलते उमंग सिंघार ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर की। शुक्रवार को इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने देरी पर कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि दल बदल कानून के तहत ऐसे मामलों में 90 दिन के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए, लेकिन यहां 16 महीने बाद भी फैसला लंबित क्यों है?
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह मामला डबल बेंच में नहीं सुना जा सकता, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी आपत्ति को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। माना जा रहा है कि अदालत सप्रे की सदस्यता पर महत्वपूर्ण टिप्पणी कर सकती है। इस बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि यदि कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया, तो निर्मला सप्रे को अयोग्य ठहराया जा सकता है, जिससे बीना सीट पर उपचुनाव की स्थिति भी बन सकती है।
बीना विधायक निर्मला सप्रे पर मंडराए संकट के बादल, हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजा नोटिस
