जयपुर। राजस्थान की राजनीति और मीडिया जगत में उस समय भूचाल आ गया जब चर्चित डिजिटल न्यूज़ पोर्टल द सूत्र के संपादक हरीश दिवेकर और उनके एक सहयोगी को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इन पर 5 करोड़ रुपए की अवैध मांग करने और झूठी खबरें प्रसारित कर राजनीतिक छवि धूमिल करने का गंभीर आरोप लगा है। यह कार्रवाई जयपुर पुलिस की साइबर शाखा द्वारा की गई, जो अब राज्य भर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
झूठी खबरें हटाने के बदले करोड़ों की मांग का आरोप
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार 28 सितम्बर 2025 को एक परिवादी ने जयपुर के संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि द सूत्र नामक वेब पोर्टल ने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री के खिलाफ एक महीने के भीतर लगभग एक दर्जन तथ्यहीन और निराधार खबरें प्रकाशित कीं। परिवादी ने आरोप लगाया कि इन खबरों को हटाने और आगे झूठी रिपोर्टें प्रकाशित न करने के लिए द सूत्र के प्रमुख आनंद पांडे और हरीश दिवेकर ने उनके परिचितों से संपर्क कर करोड़ों रुपए की मांग की। कथित रूप से उन्होंने धमकी दी कि यदि भुगतान नहीं किया गया, तो हम आपकी राजनीतिक और सामाजिक छवि को पूरी तरह नष्ट कर देंगे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि झूठी खबरें न केवल द सूत्र पर बल्कि उससे जुड़े दूसरे पोर्टल द केपीटल पर भी प्रकाशित की गईं। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्य, वीडियो फुटेज और ईमेल रिकॉर्ड के आधार पर यह पाया कि प्रसारित खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं थीं और ब्लैकमेलिंग के इरादे से चलाई गईं।
पुलिस की कार्रवाई: भोपाल से जयपुर लाए गए आरोपी
अनुसंधान के दौरान पुलिस ने आरोपी हरीश दिवेकर और आनंद पांडे को भोपाल (मध्यप्रदेश) से डिटेन कर जयपुर लाया। पुलिस ने उनके कार्यालय पर छापा मारकर कंप्यूटर, मोबाइल, दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए। इसके अलावा, ‘द सूत्र’ के बोर्ड और बैनर भी हटाए गए, जिससे यह मामला और ज्यादा सुर्खियों में आ गया। जयपुर पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह सिद्ध हुआ कि आरोपियों ने ऑपरेशन डिस्ट्रॉय दिया नाम से एक अभियान चलाने की धमकी दी थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश शामिल थी।
मीडिया नैतिकता पर उठा बड़ा सवाल
इस घटना ने पत्रकारिता की विश्वसनीयता और मीडिया एथिक्स पर भी गहरी बहस छेड़ दी है। कई वरिष्ठ पत्रकार संगठनों ने कहा कि अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह पत्रकारिता की गरिमा पर गहरा धब्बा है। पत्रकारिता अभिव्यक्ति का माध्यम है, ब्लैकमेलिंग का नहीं। वहीं कुछ संगठनों ने मांग की है कि मामले की जांच पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से की जाए ताकि मीडिया की स्वतंत्रता पर कोई गलत संदेश न जाए।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
‘द सूत्र’ विवाद अब राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का केंद्र बन गया है। विपक्षी दलों ने जहां इसे “राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई” कहा है, वहीं सत्ताधारी पक्ष का कहना है कि यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है और ब्लैकमेलिंग को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल राजस्थान पुलिस ने दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। अन्य सहयोगियों की भूमिका की जांच जारी है। यह मामला न केवल राज्य की मीडिया नैतिकता, बल्कि राजनीतिक पारदर्शिता और जनविश्वास के लिए भी एक अहम परीक्षा बन गया है।
राजस्थान में बड़ा मीडिया विवाद: ‘द सूत्र’ के संपादक हरीश दिवेकर और सहयोगी गिरफ्तार, 5 करोड़ रुपए की मांग का आरोप
