बड़ी रक्षा उपलब्धि: चांदीपुर में पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR-120) का सफल उड़ान परीक्षण

नई दिल्ली । भारत ने स्वदेशी रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। ओडिशा के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चांदीपुर में पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR-120) का पहला उड़ान परीक्षण पूरी तरह सफल रहा। इस सफलता ने न केवल भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की तकनीकी क्षमता को साबित किया है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और स्वदेशी हथियार प्रणाली को भी नई मजबूती दी है।

पिनाका LRGR-120 का सफल परीक्षण


चांदीपुर स्थित ITR में किए गए इस ऐतिहासिक परीक्षण के दौरान पिनाका LRGR-120 ने सटीकता, रेंज और गाइडेंस सिस्टम से जुड़े सभी निर्धारित मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया। परीक्षण के दौरान रॉकेट ने लक्ष्य को उच्च परिशुद्धता के साथ भेदा, जिससे इसकी उन्नत गाइडेड तकनीक की पुष्टि हुई। यह रॉकेट आधुनिक नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम से लैस है, जो इसे पारंपरिक अनगाइडेड रॉकेट्स की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी बनाता है।

DRDO और भारतीय उद्योग का संयुक्त प्रयास


पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट की यह सफलता DRDO, रक्षा उत्पादन इकाइयों और भारतीय निजी उद्योगों के साझा प्रयासों का परिणाम है। स्वदेशी डिजाइन, विकास और परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। इस परियोजना में देश की सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

120 किलोमीटर तक मारक क्षमता, थलसेना को मिलेगा बड़ा लाभ


लगभग 120 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाला पिनाका LRGR-120 भारतीय थलसेना की स्ट्राइक क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा। यह प्रणाली दुश्मन के ठिकानों पर दूर से ही सटीक हमला करने में सक्षम है, जिससे युद्ध के मैदान में भारत की सामरिक बढ़त और मजबूत होगी। पिनाका रॉकेट सिस्टम पहले से ही थलसेना की रीढ़ माना जाता है और अब गाइडेड व लॉन्ग रेंज संस्करण के जुड़ने से इसकी मारकता और विश्वसनीयता और बढ़ गई है।

आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक पहचान


पिनाका LRGR-120 की सफलता स्वदेशी रक्षा तकनीक, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह उपलब्धि भारत की रणनीतिक शक्ति को सुदृढ़ करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर देश की रक्षा नवाचार क्षमता को भी रेखांकित करती है। आने वाले समय में यह प्रणाली भारत को रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं प्रदान कर सकती है।

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