तेन्दुए की खाल तस्करी मामले में बड़ा फैसला: दो आरोपियों को 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत दोषसिद्ध, 25-25 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया

भोपाल। वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए  न्यायालय ने तेन्दुए की खाल की तस्करी के मामले में दो आरोपियों को कठोर सजा सुनाई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री अग्नीन्द्र कुमार द्विवेदी ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 51 के अंतर्गत आरोपियों बिल्लौर सिंह सोलंकी एवं कैलाश सोलंकी (निवासी खरगौन) को दोषसिद्ध पाते हुए 04-04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 25,000-25,000 रुपये अर्थदंड से दंडित करने का आदेश पारित किया है। इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एसटीएफ भोपाल सुधाविजय सिंह भदौरिया द्वारा प्रभावी पैरवी की गई।

क्या है पूरा मामला: STF की सतर्कता से पकड़ी गई तेंदुए की खाल

विशेष लोक अभियोजक श्रीमती भदौरिया ने बताया कि 19 फरवरी 2018 को एसटीएफ कार्यालय जबलपुर में पदस्थ निरीक्षक हरिओम दीक्षित को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई थी कि दो व्यक्ति तेन्दुए की खाल बेचने का प्रयास कर रहे हैं। सूचना की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए टीम को रवाना किया गया।

21 फरवरी 2018 को मुखबिर की पुख्ता सूचना पर एसटीएफ टीम ने घेराबंदी कर बिल्लौर सिंह सोलंकी एवं कैलाश सोलंकी को पकड़ा। दोनों के पास मौजूद थैलों की तलाशी लेने पर कपड़े में लिपटी तेंदुए की दो खालें बरामद की गईं, जो चार हिस्सों में थीं धड़, पूंछ, जबड़ा एवं कैनाइन दांत सहित।

वैज्ञानिक साक्ष्यों और गवाहों से सिद्ध हुआ अपराध

मौके पर विधिवत जप्ती कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और थाना एसटीएफ भोपाल में अपराध क्रमांक 05/2018 अंतर्गत धारा 9, 41 एवं 51 वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला दर्ज किया गया। अदालत में अभियोजन पक्ष ने वैज्ञानिक साक्ष्य, दस्तावेज एवं 6 गवाहों के बयान प्रस्तुत कर अपराध को संदेह से परे सिद्ध किया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया।

वन्य जीव संरक्षण के लिए कड़ा संदेश

यह निर्णय वन्य प्राणियों की अवैध तस्करी के विरुद्ध सख्त चेतावनी है और दर्शाता है कि ऐसे अपराधों में संलिप्त लोगों को कठोर परिणाम भुगतने होंगे। यह फैसला वन्य जीव संरक्षण कानूनों को प्रभावी रूप से लागू करने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।

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