एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई: मध्यप्रदेश में फर्जी टीचर गैंग का पर्दाफाश, शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

भोपाल/ग्वालियर । मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है, जिसने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक ऐसे संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो नकली डीएड (Diploma in Education) की अंकसूचियों के सहारे सरकारी शिक्षक की नौकरी हासिल कर रहा था। शुरुआती जांच में सामने आया है कि करीब तीन दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों ने वर्षों से वेतन उठाया और अलग-अलग जिलों में पदस्थ होकर बच्चों को शिक्षा देने का ढोंग रचा।
फर्जी प्रमाणपत्रों से मिली सरकारी नौकरी
एसटीएफ की जांच के अनुसार आरोपियों ने कूटरचित डीएड अंकसूचियां लगाकर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लिया और चयनित होकर शासकीय स्कूलों में पदस्थ हो गए। यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और इसकी जड़ें कई जिलों तक फैली हुई हैं। जांच के दौरान जब दस्तावेजों की क्रॉस वेरिफिकेशन की गई, तब मामला सामने आया।
एसटीएफ की सख्त कार्रवाई
ग्वालियर में इस मामले की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स ने आठ शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इनमें बृजेश रोरिया, साहब सिंह कुशवाह, महेन्द्र सिंह रावत, रूबी कुशवाह, रविन्द्र सिंह राणा, अर्जुन सिंह चौहान, लोकेन्द्र सिंह और गंधर्व सिंह रावत के नाम शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, इन सभी के दस्तावेज नकली पाए गए हैं और इनके पीछे एक पूरा संगठित फर्जी डिग्री गिरोह काम कर रहा है।
डीजीपी ने दिए सख्त निर्देश
सूत्रों के मुताबिक जब डीजीपी कैलाश मकवाणा को इस गिरोह की भनक लगी, तब उन्होंने शिक्षा विभाग में चल रही भर्ती प्रक्रियाओं की तत्काल समीक्षा करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। एसटीएफ को अब अन्य संदिग्ध शिक्षकों और दलालों की भूमिका की भी जांच सौंपी गई है।
शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप
इस खुलासे के बाद पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। विभागीय अधिकारी अब दस्तावेजों की पुनः जांच में जुट गए हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर इतने लंबे समय तक यह फर्जीवाड़ा प्रशासन की नजरों से कैसे बचा रहा।
अब देखना यह है कि STF की अगली कार्रवाई में और कौन-कौन से फर्जी शिक्षक बेनकाब होते हैं। फिलहाल यह घोटाला मध्यप्रदेश के शिक्षा तंत्र की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा कर गया है।



