भोपाल सायबर क्राइम ने डोनेशन के नाम पर ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया, मुंबई से गिरोह का सरगना समेत तीन आरोपी गिरफ्तार

भोपाल। राजधानी भोपाल की सायबर क्राइम ब्रांच ने NGO के नाम पर डोनेशन दिलाने के बहाने ठगी करने वाले एक बड़े ऑनलाइन फ्रॉड गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के सरगना समेत तीन आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया है। इससे पहले इसी गिरोह के तीन अन्य सदस्य इंदौर और होशंगाबाद से गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब तक इस ऑनलाइन ठगी गिरोह के कुल छह सदस्य पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं।
18 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी का मामला
एक आवेदक द्वारा भोपाल सायबर थाना में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि कुछ अज्ञात लोग खुद को NGO से जुड़ा बताकर डोनेशन के नाम पर 18 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी कर चुके हैं। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने भोपाल और इंदौर में संपर्क स्थापित कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
ठगी का तरीका (Modus Operandi):
गिरोह के सदस्य खुद को NGO के प्रतिनिधि बताकर डोनेशन के नाम पर विश्वास में लेते, फिर फर्जी फर्मों के बैंक खाते खोलकर रकम मंगवाते और बाद में मोबाइल बंद कर फरार हो जाते थे।
मुख्य आरोपी और उनकी भूमिकाएं:
1. संदीप पाण्डेय उर्फ यश (गिरोह का सरगना): गिरोह की पूरी योजना बनाता, कार्य का बंटवारा करता और ठगी की रकम का हिस्सा वितरित करता।
2. अनिल कुमार मौर्य: NGO की बैठकों में हिस्सा लेकर संदीप के कहने पर 15 लाख की डिमांड ड्राफ्ट लेता और उसे पहुंचाता।
3. मनीष पाल: फर्जी फर्म का पंजीयन कराता, बैंक खाता खोलता और रकम का हिस्सा लेता।
पुलिस की तकनीकी कार्रवाई और दबिश:
भोपाल सायबर टीम ने तकनीकी विश्लेषण कर मोबाइल नंबर और बैंक खाता डिटेल्स जुटाईं और मुंबई के घाटकोपर, साकीनाका और मुम्बरा क्षेत्रों में दबिश देकर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से ठगी में उपयोग किए गए मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं।
सभी गिरफ्तार आरोपी:
अनिल मौर्य (उ.प्र. निवासी, हाल मुंबई)
मनीष पाल (मुंबई निवासी, ऑटो चालक)
संदीप पाण्डेय (प्रयागराज निवासी, गिरोह का सरगना)
टीम में शामिल अधिकारी:
इस कार्रवाई में निरीक्षक अशोक मरावी के नेतृत्व में सायबर टीम के अन्य सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें उनि सुनील रघुवंशी, प्रआर दीपक चौबे, प्रआर आदित्य साहू आदि शामिल थे।
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निष्कर्ष:
भोपाल पुलिस की यह कार्रवाई ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराधों पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम है। आम जनता को भी जागरूक रहना चाहिए और किसी भी NGO या संस्था को डोनेशन देने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच अवश्य करनी चाहिए।?