भोपाल । राजधानी भोपाल में हुए अमित वर्मा हत्याकांड ने पुलिस महकमे की सिस्टमेटिक लापरवाही और निगरानी तंत्र की विफलता को उजागर कर दिया है। गोली मारकर की गई हत्या के बाद दो एसीपी और दो थाना प्रभारियों पर जांच की तलवार लटक रही है।
हत्या के आरोपी नसीम के खिलाफ पहले से ही 34 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें मारपीट, धमकी, अवैध हथियार और महिलाओं के प्रति अपराध शामिल हैं।
इसके बावजूद उसकी गतिविधियों पर किसी भी पुलिस थाने या विशेष शाखा द्वारा सतत निगरानी नहीं रखी गई।
विशेष रूप से चिंताजनक यह है कि नसीम ने हत्या से ठीक पहले:
प्रेमिका के घर पर तलवार लेकर हंगामा किया। बड़े तालाब इलाके में एक युवक पर हमला भी किया था। फिर भी स्थानीय थाने ने उसे हिरासत में नहीं लिया, और नतीजतन, अमित वर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
कमिश्नर का एक्शन, जोन-3 के डीसीपी को सौंपी गई जांच
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस कमिश्नर ने तत्काल विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं। जांच की जिम्मेदारी जोन-3 के डीसीपी रियाज इकबाल को सौंपी गई है। सूत्रों के अनुसार, जिन पुलिस अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई है, उनमें दो एसीपी रैंक के अफसर और दो थाना प्रभारी (टीआई) शामिल हैं। अगर जांच में दोष सिद्ध होता है, तो बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई संभव है।
लोगों में रोष, पुलिस की सुस्ती पर उठे सवाल
अमित वर्मा की हत्या ने स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और युवाओं में गुस्सा फैला दिया है। लोगों का कहना है कि “अगर पुलिस ने समय रहते नसीम की हरकतों को गंभीरता से लिया होता, तो आज एक निर्दोष युवक जिंदा होता।
भोपाल: अमित वर्मा हत्याकांड से मचा हड़कंप, दो एसीपी और दो टीआई जांच के घेरे में – नसीम पर थे 34 केस, फिर भी पुलिस रही लापरवाह
