भिंड: कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का स्कूली छात्र को थप्पड़ मारते वीडियो वायरल, उठे सवाल – क्या यही ‘पाठशाला’ का पाठ है?

भोपाल/भिंड, ।  मध्यप्रदेश के भिंड ज़िले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे एक स्कूली छात्र को तमाचे मारते हुए नजर आ रहे हैं। यह वीडियो करीब तीन महीने पुराना बताया जा रहा है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस पर बहस तेज हो गई है।
घटना कहां की है?

यह मामला भिंड जिले की मेहगांव तहसील के डंगरौलिया कॉलेज का है, जहां 10वीं-12वीं की परीक्षा का सेंटर बनाया गया था। एक छात्र परीक्षा देने पहुंचा था, उसी दौरान कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे। बताया जा रहा है कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने छात्र को नकल करते पाया और सीधे थप्पड़ जड़ दिए।

वीडियो वायरल, जनता में नाराजगी

वीडियो में कलेक्टर छात्र को ‘पाठशाला’ का पाठ पढ़ाने की बात कहते हुए थप्पड़ मारते दिखते हैं। वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी:

“अगर छात्र नकल कर रहा था, तो कलेक्टर को कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी, न कि थप्पड़ मारने जैसी कार्रवाई।”

“क्या किसी अफसर को छात्र पर हाथ उठाने का संवैधानिक अधिकार है?”

छात्र ने नहीं की शिकायत, डर बना रहा

सूत्रों के अनुसार, छात्र ने कलेक्टर के डर से कहीं कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। लेकिन अब जब वीडियो सामने आया है, तो छात्र-अधिकार संगठनों और नागरिक समाज ने इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है।

प्रशासन की चुप्पी, कार्रवाई की मांग

घटना सामने आने के बाद अब तक प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। मगर सोशल मीडिया पर जनता, शिक्षक संघ और मानवाधिकार संगठनों द्वारा कलेक्टर के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की जा रही है।

बड़े सवाल, जिनका जवाब जरूरी है:

1. क्या कलेक्टर को छात्र को थप्पड़ मारने का अधिकार है?
2. यदि छात्र नकल कर रहा था, तो क्या नियमानुसार ‘नकल प्रकरण’ नहीं बनाना चाहिए था?
3. क्या इस तरह का व्यवहार छात्रों में डर और अपमान नहीं पैदा करता?
4. क्या यह शिक्षा के ‘गुणवत्ता सुधार’ की दिशा में उचित उदाहरण है?


निष्कर्ष:

प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों से कानून और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन अपेक्षित होता है। ऐसे में यदि वे खुद छात्रों के साथ अनुशासन सिखाने के नाम पर हिंसा या अपमानजनक व्यवहार करते हैं, तो यह समाज में गलत संदेश देता है। अब यह देखना अहम होगा कि सरकार और शिक्षा विभाग इस प्रकरण में क्या रुख अपनाते हैं।

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