एम्स भोपाल में विश्व दिव्यांग दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम, पुनर्वास सेवाओं और सरकारी योजनाओं पर मिली उपयोगी जानकारी

एम्स भोपाल के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (PMR) द्वारा 3 दिसंबर 2025 को विश्व दिव्यांग दिवस एवं विभाग के स्थापना दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य दिव्यांगजन और उनके परिजनों को पुनर्वास सेवाओं, सहायक उपकरणों और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध कराना था।
एम्स भोपाल में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
कार्यक्रम का उद्घाटन कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर ने किया। उन्होंने कहा कि पुनर्वास चिकित्सा बीमारी, चोट या दुर्घटना के बाद सामान्य जीवन में लौटने का महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने दिव्यांगजन को प्रेरित करते हुए कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति और उचित सहायता से जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है।मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट प्रो. (डॉ.) विकास गुप्ता ने PMR विभाग की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि उन्नत सुविधाओं, आधुनिक उपचार तकनीकों और सेवाओं के कारण मरीजों को प्रभावी पुनर्वास सहायता मिल रही है। कार्यक्रम में कई वरिष्ठ विशेषज्ञ उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. (डॉ.) रजनीश जोशी (डीन एकेडेमिक्स), डॉ. विठ्ठल प्रकाश पुरी (सह-प्राध्यापक, PMR), डॉ. अनुराधा दिवाकर शेनॉय (सहायक प्राध्यापक, PMR), डॉ. जॉन संतोषी (प्रोफेसर, ऑर्थोपेडिक्स)
सांस्कृतिक और जागरूकता गतिविधियाँ आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुति के तहत सुश्री माया कुमारी शर्मा (सीनियर नर्सिंग ऑफिसर) ने विश्व विकलांग दिवस पर एक प्रेरक कविता प्रस्तुत की, जिसने उपस्थित सभी लोगों को दिव्यांगजन के संघर्ष और साहस की याद दिलाई।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी सेक्शन में प्रतियोगिताएँ
मरीजों और परिजनों के लिए कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस दौरान भूमि भागवतकर (व्यावसायिक चिकित्सक) ने सहायक उपकरणों का व्यावहारिक प्रदर्शन किया और बताया कि ये उपकरण दिव्यांगजन को दैनिक कार्यों में आत्मनिर्भर बनाते हैं। सपना मौर्य (व्यावसायिक परामर्शदाता) ने दिव्यांगजन के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं, प्रमाणपत्र प्रक्रिया और लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रतियोगिताओं में विजेताओं को स्मृति चिन्ह, मेडल और पुरस्कार वितरित किए गए। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन सुश्री अंकिता वाडनेकर (फिजियोथैरेपिस्ट) द्वारा किया गया।
यह जागरूकता कार्यक्रम न केवल दिव्यांगजन के सशक्तिकरण में सहायक सिद्ध हुआ, बल्कि उनके परिवारों को भी उपयोगी व व्यवहारिक जानकारी प्रदान करके पुनर्वास सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण माध्यम बना।



