भोपाल, । एम्स भोपाल के आपातकालीन विभाग में सोमवार दोपहर एक चिंताजनक घटना सामने आई, जिसने एक बार फिर से देशभर में चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। येलो ट्रायेज क्रिटिकल एरिया में ड्यूटी पर तैनात एक जूनियर डॉक्टर पर मरीज के परिजनों द्वारा शारीरिक और मौखिक हमला किया गया, जिससे अस्पताल परिसर में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
जानकारी के अनुसार, 39 वर्षीय मरीज संतोष कुमार को आपातकालीन विभाग में लाया गया था। मरीज के साथ आए परिजनों ने उपचार प्रक्रिया के दौरान असंतुष्टि जाहिर करते हुए डॉक्टर से विवाद शुरू किया, जो जल्द ही हिंसा में बदल गया। परिजनों ने डॉक्टर को धमकाया, शर्ट फाड़ दी, चेहरे पर वार करने की कोशिश की और यहां तक कि डॉक्टर का गला पकड़ने का प्रयास किया।
तत्काल कार्रवाई में सुरक्षा बल सक्रिय
एम्स भोपाल की सुरक्षा टीम और परिसर में तैनात पुलिसकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए आरोपी को काबू में लिया और बागसेवनिया पुलिस थाने को सौंप दिया। आरोपी के खिलाफ मध्यप्रदेश चिकित्सा सेवा व्यक्ति और चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा और क्षति की रोकथाम) अधिनियम, 2008 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर 3 से 5 साल तक की सजा और ₹50,000 से ₹2 लाख तक का जुर्माना निर्धारित है।
प्रशासन का कड़ा रुख, सुरक्षा बढ़ाने की कवायद
एम्स भोपाल प्रशासन ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की कड़ी निंदा करते हुए स्पष्ट किया कि संस्थान स्वास्थ्य कर्मियों पर किसी भी प्रकार की हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रशासन ने ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराते हुए अस्पताल परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश जारी किए हैं।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में घटना का महत्व
यह घटना न केवल एक स्थानीय अपराध है, बल्कि यह देशभर में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा पर मंडराते खतरे का एक और उदाहरण है। हाल के वर्षों में चिकित्सकों पर हमले के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे चिकित्सकीय पेशे से जुड़े लोगों में असुरक्षा की भावना पनप रही है। डॉक्टर संघों और मेडिकल संस्थानों ने लंबे समय से सख्त कानून, शीघ्र न्याय और प्रभावी सुरक्षा उपायों की मांग की है।
निष्कर्ष
एम्स भोपाल में हुई यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए चुनौती है, बल्कि यह नीति-निर्माताओं के लिए भी एक चेतावनी है कि समय रहते प्रभावशाली कदम न उठाए गए तो स्वास्थ्यकर्मी भय के वातावरण में कार्य करने को मजबूर होंगे, जिसका सीधा असर मरीजों की देखभाल पर पड़ेगा।
एम्स भोपाल के आपातकालीन विभाग में जूनियर डॉक्टर पर हमला: स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
