सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति प्रथा समाप्त कर बेरोजगारों को रोजगार दिया जाए : अरुण वर्मा

सेवानिवृत अर्द्ध शासकीय अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

भोपाल। प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं को रोजगार के अवसर न मिलने को लेकर सेवानिवृत अर्द्ध शासकीय अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने कड़ा रुख अपनाया है। फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष अनिल बाजपेई एवं महासचिव अरुण वर्मा ने सेवानिवृत्ति के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति प्रथा का विरोध करते हुए इसे तत्काल समाप्त करने की मांग की है। फेडरेशन पदाधिकारियों का कहना है कि निगम मंडलों, शासकीय एवं अर्द्ध शासकीय विभागों तथा सहकारी संस्थाओं में 65 से 75 वर्ष आयु के हजारों सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी पुनर्नियुक्ति पर कार्यरत हैं, जिसके चलते योग्य और शिक्षित बेरोजगार युवा रोजगार से वंचित हो रहे हैं। इससे न केवल बेरोजगारी की समस्या गंभीर होती जा रही है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका भी बनी हुई है।

बेरोजगार युवा भटकने को मजबूर

महासचिव अरुण वर्मा ने कहा कि एक ओर प्रदेश का युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहा है, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दोबारा सेवा में रखकर उनके अनुभव के नाम पर अवसर दिए जा रहे हैं। यह व्यवस्था सामाजिक न्याय और रोजगार नीति के मूल उद्देश्य के विपरीत है।

मुख्यमंत्री से की गई ठोस मांग

फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष अनिल बाजपेई एवं महासचिव अरुण वर्मा ने इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री महोदय को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि निगम मंडलों, शासकीय एवं अर्द्ध शासकीय विभागों में 65 वर्ष से अधिक आयु के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति प्रथा समाप्त की जाए। रिक्त पदों पर बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए। युवाओं को स्थायी रोजगार उपलब्ध कराकर बढ़ती बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जाए।


रोजगार नीति में सुधार की आवश्यकता

फेडरेशन का मानना है कि यदि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति पर रोक लगाई जाती है, तो इससे हजारों रिक्त पद उपलब्ध होंगे और प्रदेश के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इससे न केवल बेरोजगारी कम होगी, बल्कि प्रशासनिक कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी। फेडरेशन ने सरकार से मांग की है कि इस विषय पर शीघ्र निर्णय लेते हुए युवाओं के भविष्य और रोजगार सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

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