लेखक: संदीप सिंह गहरवार*
विंध्य की पावन धरती ने सदैव ऐसे सपूत दिए हैं जिन्होंने प्रदेश ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उन्हीं में एक थे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर अर्जुन सिंह जी, जिनका जन्म 5 नवम्बर को सीधी जिले के चुरहट रियासत में हुआ था।
आज उनके जन्मदिवस पर संपूर्ण प्रदेश श्रद्धाभाव से उन्हें नमन कर रहा है।
कुंवर अर्जुन सिंह जी न केवल एक प्रखर राजनेता थे, बल्कि विचार और मूल्य आधारित राजनीति के प्रतीक भी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में सांप्रदायिकता, कट्टरता और फासीवादी प्रवृत्तियों के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष किया। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के प्रति उनका समर्पण अटूट रहा। वे उन विरले नेताओं में से थे जिन्होंने सत्ता को नहीं, सेवा को राजनीति का उद्देश्य माना।
कुंवर अर्जुन सिंह जी जीवन पर्यंत सांप्रदायिकता, कट्टरवाद और फासीवादी प्रवृत्तियों के खिलाफ वैचारिक संघर्ष में अग्रिम पंक्ति में रहे। उन्होंने उस विचारधारा को न केवल अपनाया, बल्कि अपने कर्म और व्यवहार से उसे जनमानस तक पहुँचाया, जिसमें समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव की भावना गहराई से रची-बसी है। उनका राजनीतिक जीवन इस बात का प्रमाण था कि राजनीति केवल शासन का खेल नहीं, बल्कि समाज सुधार का दायित्व है।
*संघर्ष और समर्पण की यात्रा : जन – जन के अर्जुन*
विंध्य की धरती से प्रारंभ हुई उनकी यात्रा दिल्ली के सत्ताकेन्द्रों तक पहुँची, परंतु उनकी जड़ों में हमेशा विंध्य की मिट्टी की सुगंध बनी रही। चाहे वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या केंद्र में मंत्री पद पर, उन्होंने सदैव प्रदेश के विकास, किसानों की समृद्धि और गरीबों के उत्थान को ही प्राथमिकता दी। उनकी कार्यशैली में दूरदर्शिता और दृढ़ता का अद्भुत संगम देखने को मिलता था। प्रशासनिक निर्णयों में जहाँ कठोरता थी, वहीं मानवीय संवेदना का स्पर्श भी गहराई से जुड़ा रहता था।
कुंवर अर्जुन सिंह जी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उनके दरवाजे हर वर्ग के लिए सदैव खुले रहते थे।विद्यार्थी हो या व्यापारी, किसान हो या कर्मचारी, आम नागरिक हो या राजनीतिक कार्यकर्ता, जो भी उनके पास गया, खाली हाथ नहीं लौटा।
वे लोगों की समस्याओं को केवल सुनते नहीं थे, बल्कि उसके समाधान तक व्यक्तिगत रुचि लेते थे। उनकी स्मरण शक्ति, विनम्रता और आत्मीय व्यवहार ने उन्हें हर दिल में स्थायी स्थान दिया। एक बार जिसने उनसे भेंट की, वह जीवनभर उस मुलाकात को याद रखता था। यही था अर्जुन सिंह जी का जनसंपर्क का अनोखा जादू।
*मूल्य आधारित राजनीति के प्रेरणास्रोत :*
राजनीति में नैतिकता और आदर्शों की जो मिसाल कुंवर अर्जुन सिंह जी ने प्रस्तुत की, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई है। उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और हमेशा धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और समावेशी विचारधारा को सर्वोपरि रखा।उनके निर्णयों में दूरदर्शिता, वाणी में स्पष्टता और आचरण में दृढ़ता थी।
अर्जुन सिंह जी जैसे नेता राजनीति में नैतिकता और मर्यादा के आदर्श बन गए। सत्ता में रहते हुए भी उन्होंने कभी वैचारिक सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। वे जानते थे कि राजनीति केवल पद प्राप्ति नहीं, बल्कि मूल्य स्थापना का माध्यम है। उनकी वाणी में स्पष्टता थी, दृष्टि में गहराई थी और निर्णयों में जनहित सर्वोपरि रहता था।
आज, जब देश और प्रदेश की राजनीति विचारों से अधिक व्यक्तिवाद की ओर झुक रही है, तब अर्जुन सिंह जैसे नेताओं की स्मृति हमें यह याद दिलाती है कि राजनीति की असली ताकत उसकी विचारधारा में है। राजनीति विचार का युद्धक्षेत्र है, न कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का मंच। एकता, समानता और सामाजिक न्याय की विचारधारा में आवश्यकता इस बात की है कि सभी सियासतदार एकजुट होकर उसी विचारधारा की रक्षा और प्रसार के लिए निर्भीक आवाज उठाएँ।
यह समय है अर्जुन सिंह के आदर्शों को फिर से जीने का, उनके जैसी निडर, स्पष्ट और जनमुखी राजनीति को पुनः स्थापित करने का। उनके आदर्शों को पुनः जीवंत कर ही हम एक मजबूत, सर्वसमावेशी और न्यायपूर्ण भारत का निर्माण कर सकते हैं।
*न दैत्यम्… न पलायम..: अर्जुन का सच्चा अर्थ*
उनका नाम ही अर्जुन था और वे अपने नाम के अनुरूप थे। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में पीछे हटना नहीं सीखा। वे सदैव सत्य, नीति और जनता के पक्ष में खड़े रहे। ऐसे अर्जुन सदियों में कभी-कभी ही जन्म लेते हैं।
उनका व्यक्तित्व आज भी हमें यह सिखाता है कि राजनीति का सर्वोच्च रूप जनसेवा और नैतिक साहस में निहित है। कुंवर अर्जुन सिंह जी के जन्मदिवस पर समस्त देशवासी एवं प्रदेशवासी उन्हें कोटिशः नमन करते हैं। उनका जीवन हमारे लिए मार्गदर्शक है।
एक ऐसी राह जो दिखाती है कि सच्ची राजनीति वह है जो भयमुक्त होकर सत्य का साथ दे, और जनसेवा को सर्वोपरि रखे। उनका व्यक्तित्व यह सिखाता है कि सच्चा नेता वह है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों पर अडिग रहता है।
कुंवर अर्जुन सिंह जी का व्यक्तित्व और कृतित्व भारतीय राजनीति के उस स्वर्णिम अध्याय का प्रतीक है जिसमें विचार, सेवा और सादगी का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
उनकी कार्यशैली, दूरदृष्टि और जनसेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी। उनके जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें कोटिशः नमन…..एक ऐसे नेता को, जिसने राजनीति को सेवा का रूप दिया और विचारों की मशाल जलाए रखी।
कुंवर अर्जुन सिंह जी, सच्चे अर्थों में राजनीति के अर्जुन थे। राजनीति के ऐसे पुरोधा को विनम्र श्रद्धांजलि……
*(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)*
विंध्य की माटी से राष्ट्रीय मंच तक राजनीति के अर्जुन : विचार और सियासत के अमर योद्धा
