भोपाल की सरकारी भूमि पर 20,000 करोड़ रुपए का कथित घोटाला, समाजसेवियों ने की CBI/EOW जांच की मांग

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एमपी नगर क्षेत्र में सरकारी भूमि पर हुए 20,000 करोड़ रुपए के कथित घोटाले ने शासन-प्रशासन में हलचल मचा दी है। समाजसेवियों और अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और गृह विभाग को ज्ञापन सौंपकर इस घोटाले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
मामला खसरा नंबर 14/88, साउथ टी.टी. नगर स्थित शासकीय भूमि से जुड़ा है, जिसे कभी गैमन इंडिया लिमिटेड, अभिजीत राजन, दीपमाला इंफ्रा प्रा. लि. और बरबेरी इंफ्रा प्रा. लि. जैसी कंपनियों को लीज पर दिया गया था। वर्ष 2017 में शासन ने इस लीज को निरस्त कर दिया, लेकिन इसके बावजूद संबंधित कंपनियों ने जमीन पर अवैध रजिस्ट्री, बिक्री और निर्माण कार्य जारी रखे। समाजसेवियों के अनुसार, यह अवैध गतिविधियाँ राज्य सरकार को करीब 20,000 करोड़ रुपये के नुकसान की ओर धकेल रही हैं।
इस मामले में थाना एमपी नगर में पहले ही अपराध क्रमांक 348/2018 के तहत धारा 420, 418, 406 भादंवि के अंतर्गत रमेश शाह और पंकज यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। लेकिन प्रमुख अभियुक्त रमेश शाह अब तक फरार हैं और कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
आज भोपाल के मिर्च मसाला परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में समाजसेवी सुश्री चंदना अरोड़ा और अधिवक्ता आर.के. पांडे ने बताया कि शासन की बेशकीमती भूमि पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है। लीज निरस्त होने के बावजूद फ्लैट और दुकानों की अवैध बिक्री जारी है, जो सीधा सरकारी राजस्व का दुरुपयोग है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि मामले की CBI या EOW से जांच, साथ ही राजस्व, पुलिस, नगर निगम और विधि विभाग की संयुक्त जांच समिति गठित की जाए। साथ ही भूमि की समस्त रजिस्ट्री प्रक्रिया पर रोक लगाकर, इसे शासन के अधीन पुनः दर्ज किया जाए।
समाजसेवियों ने यह भी कहा कि संलिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों और भूमाफियाओं पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है, ताकि सरकारी संपत्ति की लूट पर अंकुश लगाया जा सके।



