भोपाल। मध्यप्रदेश में नर्सिंग प्रवेश प्रक्रिया को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने राज्य सरकार और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा तीसरे चरण की काउंसलिंग केवल बीएससी नर्सिंग तक सीमित किए जाने को छात्रहित के विपरीत, पक्षपाती और संदिग्ध करार दिया है। एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने प्रमुख सचिव और आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को शिकायत सौंपते हुए तुरंत हस्तक्षेप और निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है।
सभी कोर्सों की पहली दो काउंसलिंग एक साथ, अब अचानक बदलाव पर सवाल
रवि परमार ने बताया कि सितंबर और अक्टूबर महीने में बीएससी नर्सिंग, जीएनएम, पीबीबीएससी, एमएससी नर्सिंग सहित सभी कोर्सों के लिए प्रथम और द्वितीय चरण की काउंसलिंग समान रूप से आयोजित की गई थी। लेकिन 17 नवंबर से शुरू हुई तीसरे चरण की प्रक्रिया सिर्फ बीएससी नर्सिंग तक सीमित कर दी गई है। इससे अन्य नर्सिंग कोर्सों में प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहे हजारों छात्रों को तीसरे चरण का अवसर ही नहीं मिल पाएगा, जो उनके भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ है।
एनएसयूआई के सवाल
एनएसयूआई ने विभाग के निर्णय पर कई गंभीर प्रश्न उठाए—
• क्या सभी नर्सिंग कोर्सों के लिए समान काउंसलिंग प्रक्रिया अनिवार्य नहीं?
• अन्य कोर्सों को तीसरे चरण से बाहर रखने का आधार क्या है?
• क्या यह निर्णय निजी नर्सिंग कॉलेज संचालकों के हितों को साधने के लिए लिया गया?
निर्णय में पक्षपात का आरोप
एनएसयूआई जिलाध्यक्ष अक्षय तोमर ने आरोप लगाया कि यह निर्णय पारदर्शिता और छात्रहित के विपरीत है तथा इससे निजी संस्थानों को अनुचित लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि हजारों योग्य विद्यार्थी नुकसान झेल रहे हैं, जबकि प्रवेश प्रक्रिया का उद्देश्य सभी को समान अवसर देना है।
एनएसयूआई की प्रमुख मांगें
1. तीसरे चरण की काउंसलिंग सभी नर्सिंग कोर्सों के लिए तत्काल घोषित की जाए।
2. प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी, न्यायसंगत और समान अवसर के आधार पर संचालित किया जाए।
3. ऐसे अधिकारियों/संस्थानों की जांच की जाए जिनके दबाव में यह निर्णय लिया गया, और दोषियों पर कार्रवाई हो।
कार्रवाई नहीं हुई तो होगा आंदोलन
अक्षय तोमर ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग शीघ्र ही सभी कोर्सों की काउंसलिंग फिर से शुरू नहीं करता, तो एनएसयूआई उग्र आंदोलन करेगी और आवश्यक हुआ तो माननीय न्यायालय में याचिका दायर कर कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि छात्रों के भविष्य से किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नर्सिंग प्रवेश प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप
केवल बीएससी नर्सिंग की काउंसलिंग शुरू, एनएसयूआई ने जताई कड़ी आपत्ति
