एम्स ने सीपीआर प्रशिक्षण से नागरिकों को बनाया सशक्त

भोपाल । एम्स लगातार नागरिकों को जीवनरक्षक क्षमताओं से सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सीपीआर जागरूकता सप्ताह 13 से 17 अक्टूबर 2025 के तहत एम्स  के ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग ने चौथे दिन भी कई प्रभावशाली जागरूकता और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए। यह अभियान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशन में और नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट प्रोग्राम के तहत आयोजित किया जा रहा है।

सेंट थेरेसा स्कूल, भोपाल में आयोजित सत्र में 1,200 छात्रों और शिक्षकों ने भाग लेकर कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) तकनीक सीखी। बच्चों और युवाओं ने जीवनरक्षक कौशल को समझने में गहरी रुचि दिखाई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि नई पीढ़ी आपात स्थितियों में मददगार बनने के लिए तैयार है। इसी क्रम में दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), भोपाल में 200 स्कूल स्टाफ और बस ड्राइवरों को कंप्रेशन-ओनली सीपीआर  का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षकों ने बताया कि जीवनरक्षक कौशल विशेष रूप से उन लोगों के लिए आवश्यक हैं जो बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते हैं।

एम्स के आईपीडी क्षेत्र में नर्सिंग टीम और कर्मचारियों द्वारा एक प्रेरक नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसमें मरीजों के अभिभावकों और आगंतुकों को सीपीआर के महत्व और तात्कालिक उपयोगिता से अवगत कराया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 50 अभिभावकों ने भाग लेकर तकनीक सीखने में रुचि दिखाई। मुख्य प्रशिक्षकों में डॉ. भूपेश्वरी पटेल, डॉ. बाबूलाल सोनी, डॉ. जितेंद्र कुशवाहा और डॉ. अंशु प्रियंका शामिल रहे, जबकि नर्सिंग टीम में मनोज मीना, महिपाल पटिदार, आनंद, रघुवीर, चंदन और सुभाष ने सक्रिय भूमिका निभाई। एमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन्स (ईएमटी) ओम प्रकाश और सुनील ने भी योगदान दिया।

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर और उप निदेशक (प्रशासन) श्री संदेश कुमार जैन ने सभी कर्मचारियों को सीपीआर में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। सप्ताह के समापन से पहले एम्स स्टाफ के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।

यह पहल एम्स भोपाल की उस प्रतिबद्धता का प्रमाण है जिसके तहत वह मध्यप्रदेश में एक “सीपीआर-प्रशिक्षित, सुरक्षित समाज” के निर्माण की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है।

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