एम्स भोपाल योग और पारंपरिक चिकित्सा को दे रहा वैज्ञानिक आधार, एचआरवी और ईईजी पर आधारित योग अनुसंधान पर अतिथि व्याख्यान

भोपाल। एम्स भोपाल निरंतर चिकित्सा शिक्षा, शोध और जनकल्याण से जुड़े प्रयासों के माध्यम से योग और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक आधार प्रदान कर रहा है। इसी क्रम में एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानन्द कर के मार्गदर्शन में फिजियोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. वरुण मल्होत्रा ने संत हिरदाराम मेडिकल कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज़ फॉर वूमन में एक ज्ञानवर्धक अतिथि व्याख्यान प्रस्तुत किया।

यह व्याख्यान योग अनुसंधान में वैज्ञानिक विधियाँ: योगिक हस्तक्षेपों में एचआरवी (हार्ट रेट वैरिएबिलिटी) एवं ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) की भूमिका” विषय पर केंद्रित रहा। डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि योग और प्राणायाम न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि हृदय और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी वैज्ञानिक रूप से सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

अपने शोध अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि स्लो डीप ब्रीदिंग से हार्ट रेट वैरिएबिलिटी में सुधार होता है, जिससे तनाव कम होता है और मन शांत रहता है। वहीं कपालभाति प्राणायाम का हृदय की कार्यक्षमता और मस्तिष्क की गतिविधियों पर तुरंत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और मानसिक रूप से सतर्क महसूस करता है। अनुलोम-विलोम अभ्यास को उन्होंने हृदय और मस्तिष्क के बीच संतुलन स्थापित करने वाला बताया, जो भावनात्मक स्थिरता और समग्र स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।

कार्यक्रम का विशेष आकर्षण लगभग 150 विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए आयोजित हैंड्स-ऑन डेमोंस्ट्रेशन रहा। इस दौरान स्लो ब्रीदिंग और कपालभाति अभ्यास के समय हृदय गति में होने वाले बदलावों को रियल-टाइम में प्रदर्शित किया गया। इसके साथ ही योगदा सत्संग सोसाइटी के सिद्धांतों पर आधारित निर्देशित ध्यान सत्र भी आयोजित हुआ।

व्याख्यान के पश्चात डॉ. मल्होत्रा ने स्नातकोत्तर छात्रों से संवाद कर योग और इंटीग्रेटिव मेडिसिन के क्षेत्र में शोध की संभावनाओं, वैज्ञानिक शोध पद्धतियों और विभिन्न विषयों के बीच सहयोग के महत्व पर मार्गदर्शन दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार के अकादमिक और अनुसंधान आधारित प्रयास योग को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

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