भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS Bhopal) को मुख कैंसर (Oral Cancer) और उससे जुड़ी पूर्व-कैंसर स्थितियों की प्रारंभिक पहचान के लिए मोबाइल ऐप विकसित करने के उद्देश्य से एमपी काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (MPCST) से अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ है। इस दो वर्षीय रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए कुल ₹7.5 लाख की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से प्रथम वर्ष के लिए ₹3.7 लाख की किस्त जारी हो चुकी है।
इस अनुसंधान परियोजना का मुख्य उद्देश्य है—एक ऐसा उन्नत मोबाइल ऐप तैयार करना, जो कुछ ही मिनटों में मुँह में कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान कर सके। यह ऐप मुँह खोलने में रुकावट, प्री-मेलिग्नंट अवस्थाएँ और अन्य मुख संबंधी समस्याओं की स्क्रीनिंग करेगा। इस नवाचार का नेतृत्व एम्स भोपाल के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंशुल राय कर रहे हैं, जबकि उनके साथ डॉ. सैकत दास (रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), प्रो. अभिनव सिंह, डॉ. दीप्ति जोशी (पैथोलॉजी) और डॉ. अंकुर जोशी (कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन) सह-अनुसंधानकर्ता के रूप में जुड़े हुए हैं।
मुख कैंसर स्क्रीनिंग के लिए इनोवेटिव मोबाइल ऐप
यह मोबाइल ऐप अपनी तरह का पहला सरकारी फंडेड ऐप है, जो मुख कैंसर के खतरे का वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान करेगा। इसके जरिए व्यक्ति यह जान सकेगा कि उसके मुँह में कैंसर के कोई प्राथमिक या उन्नत लक्षण मौजूद हैं या नहीं। यह ऐप पूरी तरह से गोपनीयता सुनिश्चित करेगा और उपयोगकर्ता की जानकारी सुरक्षित रखेगा।
यह ऐप न केवल स्क्रीनिंग करेगा बल्कि उपयोगकर्ताओं को तंबाकू, सुपारी, बीड़ी और सिगरेट जैसे हानिकारक पदार्थों के प्रभावों के बारे में जागरूक भी करेगा। इसके जरिए स्वास्थ्य शिक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा और लोग इन पदार्थों का सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित होंगे।
1,000 से अधिक लोगों पर होगा परीक्षण, नीति निर्माण में भी सहयोग
डॉ. अंशुल राय ने बताया कि इस ऐप को लेकर वे पिछले एक वर्ष से कार्य कर रहे हैं। अगले दो वर्षों में यह रिसर्च 1,000 व्यक्तियों पर परीक्षण के रूप में लागू किया जाएगा और उसके आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य और केंद्र सरकार को प्रस्तुत की जाएगी, जिससे ओरल कैंसर रोकथाम नीति के निर्माण में मदद मिलेगी।
रिसर्च बजट और तकनीकी पहलू
स्वीकृत ₹7.5 लाख में से ₹4.8 लाख जूनियर रिसर्च फेलो की सैलरी के लिए निर्धारित किए गए हैं, जबकि ₹60,000 कंज्यूमेबल्स, ₹1 लाख यात्रा व्यय और ₹1 लाख पब्लिकेशन व प्रिंटिंग पर खर्च किए जाएंगे। यह परियोजना डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक प्रभावशाली कदम मानी जा रही है।
डिजिटल इनोवेशन से जन स्वास्थ्य को नई दिशा
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह अभिनव मोबाइल ऐप ओरल कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हम डिजिटल तकनीक के उपयोग से जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर अग्रसर हैं।”
एम्स भोपाल को मुख कैंसर की शीघ्र पहचान के लिए मोबाइल ऐप विकास हेतु रिसर्च फंडिंग मिली, दो वर्षों में होगा हजारों लोगों पर परीक्षण
