भोपाल नगर निगम में प्रशासनिक पुनर्गठन: पार्षदों की मांग पर हुए तीन बड़े बदलाव, विकास कार्यों में आएगी तेजी

भोपाल। पार्षदों की लगातार मांग और जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भोपाल नगर निगम प्रशासन ने शुक्रवार को तीन महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। इन बदलावों से अब विकास कार्यों की प्रक्रिया तेज होने के साथ-साथ स्थानीय शिकायतों के निराकरण में भी तेजी आएगी। पहला बड़ा बदलाव यह है कि अपर आयुक्तों को पुनः 50 लाख रुपये तक के कार्यों की स्वीकृति देने का अधिकार वापस दे दिया गया है। इससे पहले यह सीमा केवल 5 लाख रुपये तक सीमित थी, जिसके कारण अधिकांश फाइलें मुख्यालय तक पहुंचने में देरी होती थी। अब स्थानीय स्तर पर ही निर्णय लिए जा सकेंगे, जिससे विकास कार्यों में रफ्तार आएगी।
दूसरा बड़ा सुधार वर्क ऑर्डर की प्रक्रिया को लेकर किया गया है। अब तक यह प्रक्रिया तीन महीने तक लंबी खिंच जाती थी, लेकिन नए आदेश के तहत इसे केवल 20 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे परियोजनाओं की समयबद्ध स्वीकृति और कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा।
तीसरा अहम बदलाव यह है कि हर विधानसभा क्षेत्र में नियुक्त उप-आयुक्त अब अपने क्षेत्र में आयुक्त स्तर के अधिकारी के समान अधिकारों के साथ कार्य करेंगे। इससे स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी और विधानसभा क्षेत्रवार समस्याओं का त्वरित समाधान संभव होगा।
निगम प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि टेंडर प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी एवं सरल बनाया जाएगा ताकि कार्यों की गुणवत्ता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। नगर निगम का यह कदम पार्षदों और नागरिकों दोनों के लिए राहत भरा साबित हो सकता है, क्योंकि अब विकास कार्यों की स्वीकृति में फाइलों की लंबी कतारें और देरी की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी।



