
बालाघाट: मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के वनमंडल अधिकारी अभिनव पल्लव का स्थानांतरण एक बार फिर विवादों में आ गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया है, जिससे उनका नाम चर्चा में बना हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, अभिनव पल्लव का कार्यकाल नक्सल प्रभावित इस जिले में आर्थिक लाभ कमाने के लिए कुख्यात रहा है। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन बालाघाट के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) द्वारा इन मामलों को ठंडे बस्ते में डालने की सूचना मिली है।
पल्लव ने दक्षिण सामान्य वन मंडल में स्थानांतरण की पूरी कोशिश की थी, लेकिन समाचार पत्रों में उनके भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग के चलते उन्हें सामान्य वन मंडल में ही पदस्थ रखा गया। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पल्लव ने अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की। जब यह मुद्दा सार्वजनिक हुआ, तो उन्होंने अपने ठेकेदारों को बचाने का प्रयास किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि वरिष्ठ वनाधिकारियों के बालाघाट दौरे के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जो यह दर्शाता है कि पल्लव को उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि पल्लव के खिलाफ शिकायतों की जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हो सकती, और यह स्थिति भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
इस पूरे घटनाक्रम में सीसीएफ बालाघाट की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। इसके अलावा, विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल भी अभिनव पल्लव के प्रति मेहरबान दिखाई दे रहे हैं। यह घटनाक्रम मध्यप्रदेश सरकार की जीरो टोलरेंस नीति के दावों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगाता है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा करती है, जबकि भ्रष्ट नौकरशाही को संरक्षण दिया जा रहा है।