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एम्स भोपाल में 8वां नेचुरोपैथी डे आयोजन

गट–मेटाबॉलिज्म एक्सिस’ पर विशेष हेल्थ टॉक, प्राकृतिक चिकित्सा से क्रॉनिक बीमारियों में सुधार पर जोर

भोपाल। एम्स भोपाल प्राकृतिक, समग्र और नागरिक-हितैषी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगातार नई पहलें कर रहा है। इसी प्रयास के तहत 18 नवंबर 2025 को आयुष विभाग द्वारा 8वें नेचुरोपैथी डे के अवसर पर एक महत्वपूर्ण हेल्थ टॉक का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनता को ‘गट–मेटाबॉलिज्म एक्सिस’ की भूमिका तथा प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से क्रॉनिक बीमारियों में सुधार की संभावनाओं के प्रति जागरूक करना था।गट–मेटाबॉलिज्म एक्सिस पाचन तंत्र, उसमें मौजूद उपयोगी बैक्टीरिया और ऊर्जा निर्माण प्रक्रिया का परस्पर संबंध है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोध क्षमता पर गहरा प्रभाव डालता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस संबंध को संतुलित रखने से मोटापा, मधुमेह, थकान, पाचन संबंधी समस्याओं सहित कई दीर्घकालिक बीमारियों में उल्लेखनीय सुधार संभव है।

इस आयोजन का नेतृत्व ऑर्गेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. दानिश जावेद (सीनियर मेडिकल ऑफिसर-आयुष) और ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मुद्दा सोफिया (मेडिकल ऑफिसर-योग) ने किया। साथ ही संयुक्त आयोजन सचिव के रूप में डॉ. रंजना पांडे (आयुर्वेद), डॉ. बरकती मोहम्मद तारिक (यूनानी), डॉ. ऐश्वर्या ए (सिद्धा) और डॉ. आशीष कुमार दीक्षित (होम्योपैथी) कार्यक्रम प्रबंधन में सक्रिय रहे। कार्यक्रम के दौरान दो प्रमुख सत्र आयोजित हुए। पहले सत्र में डॉ. मनोज जॉनसन (मेडिकल डायरेक्टर– जॉनमैरीअन्स वेलनेस ग्रुप) ने गट माइक्रोब्स के महत्व और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति द्वारा ऑटोइम्यून व क्रॉनिक बीमारियों में सुधार की संभावनाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

दूसरे सत्र में डॉ. प्रवीण जैकब (चीफ साइंटिफिक एडवाइजर आत्मंतन वेलनेस सेंटर एवं सीईओ  अल्फ़ा नेचुरल न्यूट्रिशन) ने इंटरमिटेंट फास्टिंग और ऑटोफैजी की वैज्ञानिक प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह विधियाँ शरीर की अतिरिक्त वसा विशेषकर विसरल फैट को कम करने में मदद करती हैं, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस सहित कई क्रॉनिक स्थितियों में सुधार आता है। एम्स भोपाल का यह कार्यक्रम प्राकृतिक जीवनशैली, समग्र उपचार पद्धतियों और स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।

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