7वीं टैगोर चिल्ड्रन पेंटिंग प्रतियोगिता 2025: 2700 बच्चों ने दिखाई कला, कल्पना और संस्कृति की अनोखी झलक; स्कोप कैंपस में रचनात्मकता का अद्भुत संगम

भोपाल में आयोजित 7वीं टैगोर चिल्ड्रन पेंटिंग प्रतियोगिता 2025 में 2700 बच्चों ने भाग लेकर कला, संस्कृति, तकनीक और प्रकृति आधारित विषयों पर अपनी अद्भुत कल्पनाशक्ति का प्रदर्शन किया। विश्वरंग, RNTU और SGSU के संयुक्त आयोजन ने बच्चों की सृजनात्मक क्षमता को राष्ट्रीय मंच दिया।
भोपाल । स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी परिसर आज रंगों, रचनात्मकता और उत्साह से सराबोर दिखाई दिया, जब भोपाल, रायसेन, औबेदुल्लागंज और मंडीदीप के लगभग 2700 स्कूली बच्चों ने 7वीं टैगोर चिल्ड्रन पेंटिंग प्रतियोगिता 2025 में भाग लिया। विश्वरंग, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (RNTU) और स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी (SGSU) द्वारा आयोजित यह भव्य प्रतियोगिता बच्चों के कला–विकास का एक महत्वपूर्ण मंच बनकर सामने आई।
कक्षा 3 से 12वीं तक के विद्यार्थियों ने चार श्रेणियों में अपनी पेंटिंग्स प्रस्तुत कीं। विषयों में नारी शक्ति, प्रकृति, ग्लोबल वार्मिंग, स्पेस टेक्नोलॉजी, डिजिटलीकरण, धर्म–आध्यात्म, हनुमान जी, राधा–कृष्ण, बुद्ध, महावीर, सनातन संस्कृति, देशभक्ति, मांडना आर्ट, जानवरों की चित्रकला, कार्टून कैरेक्टर्स, एलियन्स और पोर्ट्रेट आर्ट शामिल रहे। कला और संस्कृति के इस संगम ने परिसर को एक विशाल रंग–उत्सव जैसा रूप दे दिया।
SGSU के चांसलर डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि “2700 बच्चों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कला बच्चों की सहज भाषा है। विश्वरंग का उद्देश्य बच्चों में संवेदनशीलता और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देना है।”
RNTU की प्रो. चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने बच्चों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति की सराहना करते हुए इसे “सृजनात्मक क्षमता का सुंदर उदाहरण” बताया।
SGSU के कुलगुरू डॉ. विजय सिंह और कुलसचिव डॉ. सितेश कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रतियोगिता बच्चों को राष्ट्रीय कला मंच से जोड़ेगी और उनके कलात्मक भविष्य को दिशा देगी। RNTU की कुलसचिव डॉ. संगीता जौहरी ने इसे बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।
प्रतियोगिता के चयनित प्रतिभागियों को विश्वरंग 2025 में आयोजित राष्ट्रीय कलाकारों की विशेष आर्ट वर्कशॉप में भाग लेने का अवसर मिलेगा। सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए और विजेताओं के लिए विशेष पुरस्कार निर्धारित किए गए। यह आयोजन न सिर्फ कला का उत्सव बना, बल्कि आने वाली पीढ़ी के युवा कलाकारों को प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी साबित हुआ।



