एक आंख से गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाने वाले टाइगर पटौदी: भारतीय क्रिकेट के महानायक
नई दिल्ली।* भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई दिग्गज खिलाड़ियों ने अपनी धाक जमाई, लेकिन मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें ‘टाइगर पटौदी’ के नाम से जाना जाता है, का कद सबसे अलग है। टाइगर पटौदी न केवल भारतीय क्रिकेट के महान कप्तानों में से एक रहे, बल्कि उन्होंने 21 साल 77 दिन की उम्र में सबसे युवा टेस्ट कप्तान बनने का रिकॉर्ड भी बनाया था।
हालांकि एक हादसे में अपनी एक आंख गंवाने के बावजूद, टाइगर ने हार नहीं मानी और अपनी अद्वितीय खेल शैली से दुनिया के दिग्गज गेंदबाजों को धूल चटाई। मैदान पर उनका फोकस और जज्बा बेमिसाल था, वहीं मैदान के बाहर उनकी जिंदादिली और खुशमिजाजी उन्हें सबसे अलग बनाती थी।
मंसूर अली खान का जन्म 5 जनवरी 1941 को हुआ था और 22 सितंबर 2011 को 70 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। नवाब पटौदी जूनियर के रूप में प्रसिद्ध टाइगर का क्रिकेट करियर शानदार रहा। 1961 से 1975 के बीच उन्होंने भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 6 शतक और 16 अर्धशतक के साथ 2,793 रन बनाए। इन 46 मैचों में से 40 मैचों में उन्होंने टीम की कप्तानी की, जिसमें 9 जीत, 19 हार और 12 ड्रॉ रहे।
1968 में उनकी कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ विदेश में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीती थी, जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
टाइगर पटौदी न केवल क्रिकेट के लिए बल्कि अपनी प्रेम कहानी के लिए भी चर्चा में रहे। उनकी शादी मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से हुई थी, जिनसे उनकी पहली मुलाकात कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। इसके बाद दोनों की लव स्टोरी ने एक नया मोड़ लिया।
टाइगर पटौदी के नाम टेस्ट क्रिकेट इतिहास में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए सबसे अधिक गेंदें खेलने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। उन्होंने 554 गेंदों का सामना कर इस रिकॉर्ड को अपने नाम किया। उन्हें 1962 में इंडियन क्रिकेटर ऑफ द ईयर और 1968 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया। उनकी आत्मकथा ‘टाइगर टेल’ 1969 में प्रकाशित हुई थी।
**निष्कर्ष:** टाइगर पटौदी भारतीय क्रिकेट में एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपनी खेल प्रतिभा और कप्तानी से क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। उनके लिए रिकॉर्ड बनाना कभी प्राथमिकता नहीं थी, उनका एकमात्र लक्ष्य टीम को जीत दिलाना था।