सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)। सहारनपुर से सामने आई एक घटना ने विवाह प्रक्रिया में सहमति, सामाजिक दबाव और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, एक युवक शादी के सिलसिले में एक युवती के परिवार से मिलने गया था। बातचीत के बाद युवक ने कहा कि वह सोच-विचार कर परिवार से सलाह लेकर जवाब देगा। इसी बात पर युवती के परिजनों ने कथित तौर पर युवक के साथ मारपीट की, उसके पैरों में जूतों की माला डालकर अपमानित किया और सार्वजनिक रूप से उसे प्रताड़ित किया। किसी भी परिस्थिति में यह व्यवहार न तो सामाजिक रूप से स्वीकार्य है और न ही कानूनी रूप से जायज़।
सहमति और निर्णय का अधिकार
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार विवाह किसी भी पक्ष पर दबाव डालकर नहीं कराया जा सकता, शादी के लिए समय माँगना या मना करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। किसी भी तरह की हिंसा, अपमान या धमकी दंडनीय अपराध की श्रेणी में आती है।
कानून हाथ में लेने का परिणाम
यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित धाराओं में मारपीट, अपमान, और आपराधिक धमकी जैसे अपराध बनते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस कार्रवाई अनिवार्य होती है।
सामाजिक दबाव बनाम कानून
यह घटना उस मानसिकता को उजागर करती है जहाँ शादी को “तुरंत निपटाने” का दबाव और सामाजिक प्रतिष्ठा के नाम पर हिंसा को正 ठहराने की कोशिश की जाती है, जो कानून और सभ्य समाज दोनों के खिलाफ है।
किसी भी पक्ष के चरित्र या अतीत पर बिना प्रमाण आरोप लगाना भी अनुचित है। दोष या सच्चाई का निर्धारण केवल जांच और न्यायिक प्रक्रिया से ही किया जा सकता है।
निष्कर्ष
यह मामला चेतावनी है कि: शादी सहमति से होती है, मजबूरी से नहीं ना कहना भी एक वैध जवाब है और कानून से ऊपर कोई परिवार या समाज नहीं।
सहारनपुर में विवाह प्रस्ताव पर हिंसा: युवक को जूतों की माला पहनाकर पीटा, कानून हाथ में लेने पर सवाल
