पुलिस की नौकरी छोड़ बने सफल किसान, पार्थीभाई चौधरी की खेती से 3.5 करोड़ की सालाना कमाई – जानिए कैसे

गुजरात के बनासकांठा जिले से एक प्रेरणादायक कहानी

सरकारी नौकरी से खेती तक – पार्थीभाई की अनोखी यात्रा

कुछ नया सीखने और करने की जिद उम्र, पद और प्रतिष्ठा की सीमाओं को पार कर जाती है। ऐसी ही कहानी है गुजरात के बनासकांठा जिले के दांतीवाड़ा निवासी पार्थीभाई जेठाभाई चौधरी की, जिन्होंने पुलिस विभाग की स्थिर सरकारी नौकरी छोड़कर खेती को अपना जुनून बनाया — और आज 87 एकड़ जमीन में आलू की खेती से हर साल 3.5 करोड़ रुपये तक कमा रहे हैं।


पुलिस से खेती की ओर – शुरुआत कैसे हुई?

59 वर्षीय पार्थीभाई पहले गुजरात पुलिस में कार्यरत थे। लेकिन उनका बचपन से खेती-बाड़ी के प्रति गहरा लगाव था। एक मौका उन्हें तब मिला जब पुलिस सेवा के दौरान उन्हें विदेशी कंपनी ‘मैकैन’ से पोटैटो कल्टीवेशन की ट्रेनिंग मिली। यह कंपनी आलू से जुड़े उत्पाद बनाती है और किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण देती है।

नवाचार से बदली खेती की दिशा

मैकैन से मिली तकनीकी जानकारी ने पार्थीभाई की सोच बदल दी। उन्होंने पारंपरिक सिंचाई की जगह ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाई, जिससे न केवल पानी की बचत हुई, बल्कि उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि भी हुई।

ड्रिप सिंचाई यानी पौधों की जड़ों पर बूँद-बूँद पानी देना — कम पानी में ज्यादा उत्पादन की कुंजी।

आलू की खेती में विशेषज्ञता और बड़ी कंपनियों से करार

पार्थीभाई ने सबसे पहले मैकैन को ही आलू सप्लाई किया। गुणवत्ता इतनी बेहतरीन रही कि अब वे बालाजी वेफर्स जैसी चिप्स निर्माण कंपनियों को भी बड़े पैमाने पर आलू भेजते हैं।सालाना करोड़ों की कमाई कैसे होती है?

विवरण आँकड़ा/तथ्य

कुल खेती योग्य भूमि 87 एकड़
फसल आलू
बुवाई का समय 1 से 10 अक्टूबर
कटाई का समय दिसंबर के अंत तक
प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1200 किलो (कुछ आलू 2 किलोग्राम तक)
सालाना आय ₹3.5 करोड़ से अधिक
कर्मचारी 16+ स्थायी स्टाफ
विपणन रणनीति कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक, मांग अनुसार सप्लाई



सफलता की कुंजी – सीखने और करने की ललक

पार्थीभाई की कहानी उन लोगों के लिए एक आदर्श है.जो सरकारी नौकरी को ही सफलता की अंतिम सीढ़ी मानते हैं। जो खेती को घाटे का सौदा समझते हैं।

जो उम्र के बाद सपनों को छोड़ देना चाहते हैं।
“अगर पार्थीभाई पुलिस की नौकरी से चिपके रहते, तो शायद वे 3.5 करोड़ की खेती की यह ऊंचाई कभी न छू पाते।”

भारत के किसानों को क्या सिखाती है यह कहानी?

1. नई तकनीकें अपनाएं – जैसे ड्रिप इरिगेशन।
2. बाजार की मांग को समझें – चिप्स कंपनियों से सीधे करार करें।
3. उत्पादन के साथ भंडारण और विपणन रणनीति भी बनाएं।
4. प्रेरणा लें, पीछे नहीं हटें – उम्र बाधा नहीं, ऊर्जा है।

निष्कर्ष:

पार्थीभाई चौधरी की कहानी भारत के किसान वर्ग के लिए एक नई प्रेरणा है। यह दिखाती है कि यदि जुनून और सोच में नवीनता हो, तो खेती भी एक लाभदायक और सम्मानजनक व्यवसाय बन सकती है। उन्होंने न केवल खुद की पहचान बदली, बल्कि गाँव और क्षेत्र के अन्य किसानों को भी उन्नत खेती के लिए प्रेरित किया।

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