मध्यप्रदेश में अजीब प्रेम कहानी: बेटे की मां ने की अपने से 5 साल छोटे प्रेमी से मंदिर में शादी, बेटे को बताया उसी का बच्चा

प्रेम के लिए समाज की सीमाएं तोड़ीं, मंदिर में की शादी

मध्यप्रदेश। प्रेम जब सच्चा हो, तो समाज की उम्र, रिश्ता और सीमाएं मायने नहीं रखतीं—इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है एक महिला ने, जिसने अपने से 5 साल छोटे प्रेमी से मंदिर में शादी कर ली। महिला पहले से एक बच्चे की मां थी, लेकिन इस शादी के बाद उसने बेटे को भी प्रेमी का ही बच्चा बताया, यह कहते हुए कि “यह मेरा शादी से पहले का प्यार है।”

यह अनोखी प्रेम कहानी अब स्थानीय समाज और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। मामला चाहे भावनात्मक हो या सामाजिक, इस शादी ने रिश्तों की परिभाषा पर एक नई बहस खड़ी कर दी है।




क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, महिला और युवक के बीच पिछले कई वर्षों से प्रेम संबंध था। महिला की पहले किसी और से शादी हो चुकी थी और उसका एक बेटा भी है। लेकिन कुछ कारणों से वह अपनी पहले की शादी से अलग हो चुकी थी।

अब जब दोनों प्रेमी एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का निर्णय ले चुके थे, तो उन्होंने किसी तरह की सामाजिक औपचारिकता या आलोचना की परवाह किए बिना स्थानीय मंदिर में शादी कर ली।

बेटे को बताया प्रेमी का ही बच्चा

शादी के बाद महिला ने अपने बेटे को अपने वर्तमान पति का ही बेटा बताते हुए कहा कि “यह मेरा शादी से पहले का प्यार था, लेकिन अब हमें अधिकारिक रूप से साथ रहने का मौका मिला है। बेटे को भी उसका असली पिता मिल गया।इस बयान के बाद स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं—कुछ ने इसे प्रेम की जीत कहा, तो कुछ ने सामाजिक संरचना पर सवाल उठाए।

कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण

विवाह आपसी सहमति और वयस्कता की आयु पूरी होने के बाद कानूनन मान्य होता है। यदि महिला का पहले का विवाह कानूनी रूप से समाप्त हो चुका था और दोनों पक्ष वयस्क हैं, तो यह विवाह वैध है। हालांकि बेटे को लेकर किया गया दावा—कि वह प्रेमी का बच्चा है—यदि इसमें कस्टडी या वैधता से जुड़े पहलू जुड़े हों, तो यह मामला कानूनी जांच का विषय बन सकता है।

समाज की दो राय: आधुनिक सोच बनाम पारंपरिक मूल्य

इस घटना ने एक बार फिर से यह दिखा दिया है कि भारतीय समाज में प्रेम, विवाह और पारिवारिक ढांचे को लेकर सोच में बदलाव तो आया है, लेकिन पूरी तरह स्वीकार्यता अभी भी दूर की बात है।
जहां कुछ लोग महिला की ईमानदारी और प्रेम के प्रति दृढ़ता की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे सामाजिक अस्थिरता का उदाहरण मान रहे हैं।

निष्कर्ष: यह कहानी सिर्फ प्रेम और विवाह की नहीं, बल्कि एक महिला के अपने रिश्तों को स्वीकारने और समाज की रूढ़ियों से बाहर निकलने की कहानी है।
ऐसी घटनाएं यह सवाल जरूर उठाती हैं—क्या हम अब भी प्रेम को उम्र, रिश्तों और सामाजिक परंपराओं की कैद में रखना चाहते हैं?

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