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कर्नाटक की धरती से अयोध्या तक पहुँचे रामलला, सोने-हीरे में ढली श्रद्धा बनी आस्था की यात्रा

अयोध्या । कर्नाटक से अयोध्या तक रामभक्ति की एक अनुपम और ऐतिहासिक श्रद्धा-यात्रा साकार हुई है। सोने और हीरों से अलंकृत रामलला की प्रतिमा जब कर्नाटक की पुण्यभूमि से निकलकर अयोध्या पहुँची, तो वह केवल एक प्रतिमा नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था, विश्वास और समर्पण का सजीव प्रतीक बन गई। इस दिव्य यात्रा में रामलला श्रद्धा के रूप में सजे, जहाँ स्वर्ण की आभा और हीरों की चमक ने भौतिक वैभव नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की अखंड परंपरा को उजागर किया। रामलला का यह स्वरूप भक्तों के हृदय में भक्ति, मर्यादा और धर्म के प्रकाश को और प्रखर कर गया।

श्रद्धा का सेतु: दक्षिण से उत्तर तक

कर्नाटक की धरती, जहाँ सदियों से रामभक्ति की गहरी परंपरा रही है, से निकलकर यह यात्रा अयोध्या पहुँची , वह अयोध्या, जो राम जन्मभूमि के रूप में भारत की आत्मा में बसती है। यह यात्रा उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ने वाला आध्यात्मिक सेतु बनकर उभरी, जिसने यह संदेश दिया कि राम केवल अयोध्या के नहीं, बल्कि समूचे भारत की चेतना हैं।

आस्था का उत्सव

रामलला के इस अलौकिक स्वरूप के दर्शन ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। हर चरण में “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ यह यात्रा सनातन एकता और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव बन गई। रामलला की यह श्रद्धा-यात्रा न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की आत्मिक एकता, परंपरा और अविचल विश्वास की जीवंत अभिव्यक्ति भी है।

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