दवाई लेने निकली पत्नी, गैर मर्द के साथ पकड़ी गई बिस्तर पर; पति ने पूछा – “यहां कौन-सी दवा मिल रही थी?”

शादी, शक, और ‘फ्रीडम’ की आड़ में धोखा – आधुनिक रिश्तों की गिरती नैतिकता पर उठा बड़ा सवाल

नई दिल्ली। आजकल रिश्तों की परिभाषाएं तेजी से बदल रही हैं। जहां एक ओर विश्वास और वफ़ादारी जैसे शब्द केवल शादी के कार्ड तक सीमित रह गए हैं, वहीं “फ्रीडम” और “फ्रेंडशिप” के नाम पर बेवफाई जैसे कृत्य को भी जायज़ ठहराने की कोशिश हो रही है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें एक बीमार पति ने अपनी पत्नी की मंशा पर संदेह करते हुए उसका पीछा किया — और जो सच्चाई सामने आई, उसने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।

पति बीमार था, पत्नी बोली – “दवाई लेने जा रही हूं”

पति लंबे समय से बीमार था। पत्नी ने कहा कि वह दवाई लेने जा रही है। लेकिन कुछ अजीब लगा — उसकी बातों में झूठ की हल्की सी झलक थी। संदेह ने जन्म लिया। पति ने न केवल उस पर नजर रखने का फैसला किया बल्कि बीमार होने के बावजूद ‘जेम्स बॉन्ड’ स्टाइल में उसका पीछा किया।

पीछा किया तो खुला राज – गैर मर्द के साथ बिस्तर पर थी पत्नी

जैसे ही पत्नी एक अपार्टमेंट में दाखिल हुई, पति चुपचाप पीछे-पीछे पहुंचा। जब उसने कमरे का दरवाजा खोला, तो नज़ारा हैरान करने वाला था। पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ बिस्तर पर आपत्तिजनक स्थिति में थी।
पति ने गुस्से से पूछा  “यहां बिस्तर पर कौन-सी दवाई खरीद रही हो?”

पत्नी ने पलटा आरोप – पति को बताया ‘टॉक्सिक’ और ‘एग्रेसिव’

यहां एक तरफ पति था जो विश्वासघात से टूटा हुआ था, वहीं पत्नी बिना शर्म के जवाब देने लगी “तुम बहुत टॉक्सिक हो, शकी हो, एग्रेसिव हो। मेरी फ्रीडम को रोकते हो। क्या महिला अपने किसी मित्र के साथ लेट भी नहीं सकती? यह कलियुग है।” अब धोखा देने वाली पत्नी ने उल्टा पति को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

सवाल बड़ा है – क्या शादी में वफादारी की जगह अब ‘फ्रीडम’ ने ले ली है?

क्या झूठ बोलकर किसी गैर पुरुष के साथ छुपकर संबंध बनाना मित्रता कहलाता है?

क्या विवाह जैसे पवित्र रिश्ते की सीमाएं इतनी लचीली हो गई हैं कि “फ्रीडम” के नाम पर उन्हें तोड़ना आधुनिकता माना जाएगा?

क्या पति अगर पत्नी के धोखे को देखकर सवाल करे तो उसे ही ‘टॉक्सिक’ करार देना सही है?

यह ‘कलियुग’ नहीं, यह मूल्यों का पतन है

रिश्तों में शक गलत हो सकता है, लेकिन जब सबूत सामने हो, तब उसे नजरअंदाज करना आत्मवंचना है।
पति ने जो देखा, वो शक नहीं, सत्य था। फिर भी पत्नी उसे ही दोषी ठहराकर अपने अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश करती रही।

निष्कर्ष – जब रिश्ते से भरोसा चला जाए, तब ‘फ्रीडम’ सिर्फ धोखे का पर्दा बन जाती है

विवाह एक अनुबंध नहीं, विश्वास की नींव है। अगर प्रेम नहीं बचा, तो अलग हो जाना बेहतर है,  बजाय इसके कि छल, झूठ और बेवफाई को फ्रेंडशिप और अधिकार कहकर जायज़ ठहराया जाए। जब झूठ को अधिकार समझ लिया जाए, तब समाज नहीं बचता। जब धोखा ‘फ्रीडम’ कहलाए, तब रिश्ते नहीं बचते।

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